असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने कहा कि सात और मौतों के साथ, असम में बाढ़ से अब तक मरने वालों की कुल संख्या 90 हो गई है। एएसडीएमए की बाढ़ रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को राज्य में 7 और लोगों की मौत हो गई।
एएसडीएमए की बाढ़ रिपोर्ट में कहा गया है, "गोलपाड़ा जिले में नाव पलटने की घटना में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि नागांव और जोरहाट जिले में एक व्यक्ति बाढ़ के पानी में डूब गया। इसके साथ ही अब तक कुल मरने वालों की संख्या 90 हो गई है।"
राज्य में बाढ़ की स्थिति में थोड़ा सुधार हो रहा है, लेकिन 24 जिलों के 12.33 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। 75 राजस्व गांवों के अंतर्गत 2406 गांव और 32924.32 हेक्टेयर फसल क्षेत्र अभी भी पानी में डूबा हुआ है।
प्रभावित जिले कछार, धुबरी, नागांव, कामरूप, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, नलबाड़ी, बारपेटा, धेमाजी, शिवसागर, गोलपारा, जोरहाट, मोरीगांव, लखीमपुर, करीमगंज, दरांग, माजुली, बिस्वनाथ, हैलाकांडी, बोंगाईगांव, दक्षिण सालमारा, चिरांग, तिनसुकिया, कामरूप (एम) हैं।
धुबरी जिले में 3,18,326 लोग प्रभावित हैं, इसके बाद कछार में 1,48,609 लोग, गोलाघाट में 95,277 लोग, नागांव में 88,120 लोग, गोलपारा में 83125 लोग, माजुली में 82,494 लोग, धेमाजी में 73,662 लोग, दक्षिण सालमारा जिले में 63,400 लोग प्रभावित हैं।
राज्य में कई नदियों का जल स्तर अब कम हो रहा है, लेकिन ब्रह्मपुत्र नदी का जल स्तर अभी भी नेमाटीघाट, तेजपुर, धुबरी में, बुरहीदिहिंग नदी चेनिमारी (खोवांग) में, दिसांग नदी नंगलामुराघाट में और कुशियारा नदी में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
बाढ़ प्रभावित जिलों में 316 राहत शिविरों और वितरण केंद्रों में 2.95 लाख से अधिक लोग शरण ले रहे हैं। एएसडीएमए बाढ़ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाढ़ से 6,67,175 जानवर भी प्रभावित हुए हैं।
इस बीच काजीरंगा नेशनल पार्क में आई बाढ़ से अब तक 10 गैंडों समेत 180 जंगली जानवरों की मौत हो चुकी है।
काजीरंगा नेशनल पार्क की फील्ड डायरेक्टर सोनाली घोष ने कहा कि 10 गैंडे, 150 हॉग हिरण, 2-2 स्वैम्प हिरण और सांभर बाढ़ के पानी में डूब गए, जबकि 2 हॉग हिरण की वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई, 13 अन्य जानवरों की देखभाल के दौरान और एक ओटर (पिल्ला) की अन्य कारण से मृत्यु हुई।
बाढ़ के दौरान, पार्क अधिकारियों और वन विभाग ने दो गैंडे के बछड़ों और दो हाथी के बच्चों सहित 135 जानवरों को बचाया। राष्ट्रीय उद्यान के 35 वन शिविर अभी भी पानी में डूबे हुए हैं।