अनुच्छेद-370 में बदलाव करने के सात महीने बाद अब जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोशल मीडिया से पाबंदी हटा ली है। हालांकि लोगों को इंटरनेट की स्पीड 2जी की ही मिलेगी। यह सुविधा पोस्टपैड सिम वाले मोबाइल फोन के लिए ही दी गई है। जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग द्वारा स्थिति का जायजा लेने के बाद यह फैसला लिया गया है।
इसके साथ ही लैंडलाइन कनेक्शन के साथ जुड़े इंटरनेट कनेक्शन को भी शुरू कर दिया गया है, हालांकि इसके लिए प्रशासन से मंजूरी लेनी होगी। प्रशासन के द्वारा जारी ये आदेश 17 मार्च तक लागू होगा, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है।
दरअसल, केंद्र की ओर से सभी मोबाइल ऑपरेटर्स को इस संबंध में पत्र जारी कर दिया गया है, जिसमें उन्हें 24 घंटे से 48 घंटे के भीतर 2जी सेवाएं बहाल करने को कहा गया है। सोशल मीडिया पर तब से पाबंदी लगी हुई थी जब पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद-370 में बदलाव कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया।
इससे पहले जनवरी में पोस्टपैड और प्रीपेड सेवाएं इस्तेमाल करने वालों के बहाल की गई थी ये सेवाएं
इससे पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जनवरी महीने के आखिरी हफ्ते में पोस्टपैड और प्रीपेड सेवाएं इस्तेमाल करने वाले मोबाइल धारकों के लिए 2जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया था। लेकिन इसमें शर्त यह लगाई गई थी कि वे सरकार के द्वारा अधिकृत की गईं 301 सुरक्षित वेबसाइट्स को ही एक्सेस कर पाएंगे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, इन सेवाओं को 25 जनवरी से चालू कर दिया गया था। हालांकि तब सोशल मीडिया से पाबंदी नहीं हटाई गई थी।
अनुच्छेद-370 के बाद से था प्रतिबंध
मोदी सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा लिया गया था। यह निर्णय वहां सोशल मीडिया के जरिये आतंकियों को लोगों को भड़काने से रोकने के लिए लिया गया था। इसके अलावा केंद्र सरकार ने लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग करते हुए दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था।
7 महीने से प्रतिबंध थी सोशल मीडिया
कश्मीर घाटी में हालात सामान्य बने रहें इसके लिए सोशल मीडिया को बैन करने का निर्णय हुआ था। इस पर देशभर में जमकर सियासत भी गरमाई थी। इसे विपक्ष द्वारा लोगों की आवाज दबाने की कोशिश भी करार दिया था।
कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं याचिकाएं
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने, नेताओं की गिरफ्तारी और सोशल मीडिया पर लगे बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर की गईं हैं। इनमें से कई याचिकाओं पर अब भी सुनवाई जारी है।
इंटरनेट पाबंदी संविधान के खिलाफ- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में इंटरनेट पर प्रतिबंध को संविधान के खिलाफ कहा था। अदालत ने जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर अपनी सभी पाबंदियों की समीक्षा करने और उन्हें अदालत के समक्ष उठाने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इंटरनेट के इस्तेमाल को उपकरण के रूप में संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, जो बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में है और लोगों को अपने संबंधित पेशे के साथ बढ़ने में सक्षम बनाता है।
सीआरपीसी की धारा 144 पर, शीर्ष अदालत ने कहा कि इसका उपयोग स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है और इस धारा का उपयोग केवल वहीं किया जा सकता है, जहां हिंसा भड़कने और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा होने की आशंका हो।