इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश एवं दिल्ली अल्पसंख्यक एसोसिएशन के सदस्य थम्पू के समर्थन में सामने आए और कहा कि उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कानून की प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।
थम्पू ने दावा किया कि उनका पीछा किसी जानवर की तरह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके वकील एवं पूर्व न्यायाधीश मनमोहन सरीन ने उनसे बहुत पहले ही कह दिया था कि उन्हें इस मामले में फंसाने के प्रयास चल रहे हैं तथा उन्हें मामले को आंतरिक शिकायत समिति के पास भेजना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि एक सहायक अध्यापक द्वारा कथित रूप से उत्पीड़ित की गई शोध छात्रा का उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। विवाद को शह देने वाले लोगों ने इस लड़की को सिखा पढ़ा कर उनका स्टिंग करवाया। थम्पू ने ओल्ड स्टिफेनियंस एसोसिएशन का जिक्र एक ऐसे तत्व के रूप में किया जो कथित रूप से उनके पीछे पड़ा है। उन्होंने अन्य लोगों के नाम यह कहते हुए उजागर नहीं किए कि इन्हें बताना उपयुक्त नहीं होगा।
यह एसोसिएशन पूर्व छात्रों की संस्था है जिसे कालेज ने मान्यता प्रदान नहीं की है। थम्पू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैंने प्राचार्य की क्षमता में अपने सर्वोत्तम प्रयास किए...लेकिन अंतत: मैं भी एक इंसान हूं। मेरी एक पत्नी और दो पुत्रियां हैं जो समाज में रहती हैं। चूंकि यह मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है, मैं सभी संबद्ध तत्वों से यह अपील करता हूं कि मेरा और कॉलेज का निरंतर किया जा रहा चरित्र हनन बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें इस मामले में अनावश्यक रूप से शामिल किया जा रहा है जो कि शिकायतकर्ता एवं आरोपी के बीच का मामला है। लेकिन इस मामले में प्राचार्य प्रमुख अपराधी बन गया है। मुद्दे में सीबीआई जांच की अपनी मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि व्यापक एवं पूर्वाग्रह रहित जांच करवाई जाए तथा सत्य का खुलासा हो। मैं मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं यूजीसी का आईसीसी (आतंरिक शिकायत समिति) की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के लिए स्वागत करता हूं।