भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 5 वामपंथी विचारकों के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पुलिस रिमांड की अर्जी को खारिज कर दिया था और पांचों वामपंथी विचारकों को नजरबंद रखने का आदेश दिया था। इस मामले में अब महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है और कहा है कि उन पांचों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। मामले पर 6 सितंबर को सुनवाई होनी है।
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में दिया हलफनामा
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि गिरफ्तार किए गए लोग हिंसा फैलाने की साजिश का हिस्सा हैं। वे लोग बडे़ पैमाने पर हिंसा फैलाने और अफरातफरी का माहौल पैदा करने की कोशिश में थे। याचिका में कहा गया है कि ये लोग सीपीआई (माओवादी) के एजेंडे के तहत संपत्ति को नुकसान पहुंचाना चाहते थे और हिंसक घटनाओं के जरिए समाज में भय का माहौल पैदा करना चाहते थे
पुलिस रिमांड को लेकर दिया हलफनामा
याचिका में ये भी कहा गया है कि कोर्ट में उन लोगों का मामला है जिनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं कि वो लोग प्रतिबंधित संगठन सीपीआई(माओवादी) के सक्रीय सदस्य हैं। साथ ही ये भी कहा गया है कि पुलिस इनको रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है। इनको सरकार से असहमति या मतभेद के कारण गिरफ्तार नहीं किया गया है बल्कि इनके खिलाफ भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने की साजिश करने के मामले में सबूत मिले हैं।
5 वामपंथी विचारकोंं की गिरफ्तारी का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार पांचों वामपंथी विचारकों को नजरबंद करने का आदेश दिया था। इस मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होनी है। गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालविस पर भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने की साजिश में शामिल होने का आरोप है।