भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और भोपाल गैस पीड़ित सहयोग संघर्ष समिति ने गैस कांड की 33वीं बरसी पर सुप्रीम कोर्ट को 5000 पत्र भेजने का फैसला किया है। पत्र के माध्यम से 1984 में हुई इस घटना में अपने परिजनों को खोने वाले और गैस रिसाव के कारण बीमार हुए लोग अपनी पीड़ा सर्वोच्च न्यायालय से साझा करेंगे।
संगठन से जुड़े अब्दुल जब्बार ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के कारण ही पीड़ितों को नकद सहायता मिली थी। पूरा विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय संगठन की ओर से दायर मुआवजा याचिका पर भी पीड़ितों को राहत देने का काम जरूर करेगा। गौरतलब है कि 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस रिसाव से मौत का तांडव मच गया था। कारखाने के प्लांट नंबर 'सी' में हुए रिसाव ने देखते ही देखते पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था। सैकड़ाें लोगों की इससे मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार या विकलांग हो गए।