भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के चेयरमेन वारेन एंडरसन को भोपाल से फरार कराने के आरोपी तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने सिंह एवं पुरी द्वारा दायर की गई आपराधिक पुनरीक्षण याचिकाएं (रिव्यू पिटिशन) स्थानीय अदालत ने निरस्त कर दी।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश आर के सोनी ने अपने आदेश में कहा, "अधीनस्थ न्यायालय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी भोपाल द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश में ऐसी कोई अवैधता, अशुद्धता या अनौचित्यतता दृष्टिगोचर नहीं होती है, जिसके आधार पर प्रश्नगत आदेश में कोई हस्तक्षेप किया जाना आवश्चक है। अत: सिंह एवं पुरी की पुनरीक्षित याचिकाएं सारहीन होने के कारण निरस्त की जाती हैं। इससे अब सिंह एवं पुरी के खिलाफ एंडरसन को वर्ष 1984 में भोपाल से अमेरिका भगाने के मामले में मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार ने बताया, "अतिरिक्त जिला न्यायाधीश आरके सोनी ने अपने आदेश में कहा था कि खुद मोती सिंह ने अपनी इस किताब (भोपाल गैस त्रासदी का सच) में स्वीकार किया है कि दोपहर लगभग 2:30 बजे निर्देश प्राप्त हुए कि बैरागढ़ हवाई अड्डे स्टेट प्लेन खड़ा है और एंडरसन को उसी हवाई जहाज से तत्काल दिल्ली भेजना है।"
गौरतलब है कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से दो और तीन दिसंबर 1984 के बीच की रात को जहरीली गैस रिसने से करीब 15,000 लोगों की मौत हो गयी थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार एवं सामाजिक कार्यकर्ता शहनवाज खान ने सिंह एवं पुरी पर एंडरसन को भोपाल से अमेरिका फरार कराने का आपराधिक मुकदमा दायर किया था।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सोनी ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सीजेएम भू भास्कर के इस साल 27 फरवरी को सिंह एवं पुरी के खिलाफ दिये गये फैसले को बरकरार रखा है। इस फैसले के खिलाफ सिंह एवं पुरी ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका लगाई थी, जिसे निरस्त कर दिया गया।