अगले महीने यानी मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शिवसेना अपनी ही गठबंधन सहयोगी बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है। ऐसा तब कहा जा रहा है जब हाल ही में शिवसेना ने कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के खिलाफ लगभग 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान सांसद संजय राउत ने कहा कि कर्नाटक में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी बीजेपी के खिलाफ लगभग 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले शिवसेना गोवा, उत्तर प्रदेश और गुजरात में हुए चुनावों में बीजेपी के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े कर चुकी है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राउत ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि हमारी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने जा रही है और इसी के तहत हमने कर्नाटक में भी अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय किया है। हम लगभग 50-60 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन हम महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) का समर्थन करेंगे, जो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच विवादित क्षेत्रों में रहने वाले मराठी लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।
पार्टी के एक प्रस्ताव में ठाकरे ने घोषणा की थी कि शिवसेना वर्ष 2019 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ेगी। महाराष्ट्र वर्तमान में कर्नाटक में स्थित बेलगाम, कारवार और लगभग 800 गांवों को उसे सौंपने की मांग कर रहा है।
उसका दावा है कि इन स्थानों पर मराठी बोलने वाले लोगों का प्रभुत्व है। राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से कर्नाटक के विवादित क्षेत्रों में बीजेपी के लिए प्रचार नहीं करने की भी अपील की। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र गवर्नर, राज्य सरकार अपने प्रत्येक वक्तव्य में कर्नाटक से इस मामले को निपटाने का जिक्र करते हैं। यदि फडणवीस इस विवादित क्षेत्र में प्रचार करेंगे तो महाराष्ट्र में गलत संदेश जाएगा और यह उनके आधिकारिक रुख से बिल्कुल अलग रुख होगा।
राउत ने हाल में बेलगाम और अन्य सीमा क्षेत्रों को संघ शासित क्षेत्र घोषित करने की मांग की थी। हालांकि, उनका यह बयान कुछ समुदाय के लोगों को रास नहीं आया था और उन्होंने राउत के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘मैं 20 लाख मराठियों के हित की बात कर रहा हूं जो वहां रहते हैं’। उन्होंने कहा कि वह पुलिस में दर्ज शिकायत से बिल्कुल भी परेशान नहीं हैं।