मुजफ्फरनगर और शामली दंगे में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 131 केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इस फैसले को तमाम विपक्षी दलों ने योगी सरकार की वोट बैंक की राजनीति करार दिया है। वहीं, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह हिन्दुत्व तुष्टिकरण है। उन आरोपियों में कई बीजेपी के सांसद और एमएलए भी थे।
ओवैसी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट बनाए जाने की बात कही लेकिन ये लोग स्पेशल कोर्ट बनने से पहले इन लोगों को बचाना चाहते हैं. दूसरी बात यह है कि बीजेपी हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करती है। ये हिंदुत्व तुष्टिकरण है। उत्तर प्रदेश में रूल आॅफ लॉ नहीं, रूल आॅफ रिलीजन है। उन्होंने कहा कि बीजेपी उन तमाम लोगों को बचाना चाहती है, जिनकी वजह से 50 हजार लोग बेघर हो गए।'
ओवैसी ने कहा कि ये लोग संविधान और इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) का मजाक बना रहे हैं।
They're making mockery of Constitution&IPC. Govt should take action against those because of whom around 50,000 people became refugees (Muzaffarnagar). BJP is ruling by rule of religion & not by rule of law: Asaduddin Owaisi on UP Govt's initiation on withdrawal of 131 riot cases pic.twitter.com/X3j1pLH0s4
— ANI (@ANI) March 22, 2018
क्या कहते हैं अन्य दल?
सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि सरकार ने दंगा पीड़ितों के लिए कुछ नहीं किया। योगी सरकार केस वापसी सिर्फ वोट बैंक साधने के लिए कर रही है। कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों में शामिल लोगों को योगी सरकार के एक साल पूरे होने का गिफ्ट मिला है, जो सरकार केस को वापस ले रही है लेकिन हमें अदालत पर भरोसा है। हम अपना विरोध जारी रखेंगे।
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने केस वापसी पर कहा कि जो मामले अदालत में विचाराधीन है, उनको वापस लेना ठीक नहीं है। केस वापसी पर एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा कि राज्य को अधिकार है कि स्टेट हारमनी में केस वापस ले ले लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि राजनैतिक हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाए।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उत्तर प्रदेश की राज्य मंत्रि परिषद ने मुकदमे वापस लेने को अनुचित और पक्षपातपूर्ण बताया है।उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी के सचिव हीरालाल यादव का कहना है कि इनमें कई पर हत्या और डकैती के गंभीर अपराध के आरोप हैं। इन आरोपों में सजा देना या न देना न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है। लोकसभा के दो उपचुनावों में हारने के बाद योगी सरकार साम्प्रदायिक नजरिये से सस्ती लोकप्रियता व समर्थन हासिल करने के लिए न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण कर रही है। एक गलत परम्परा को स्थापित कर रही है।
यूपी सरकार का पक्ष
मुकदमे वापसी पर उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि केवल वही मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं, जो राजनैतिक द्वेष में लिखे गए थे। सभी मुकदमे भारतीय दंड संहिता की धाराओं में लिखे जाते हैं। उनमें कुछ मुकदमे राजनैतिक द्वेष के होते हैं, उनको सरकार खत्म कर रही है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जो दोषी हैं, उनके मुक़दमे वापस नहीं लिए जा रहे हैं। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। राजनैतिक द्वेष के चलते दर्ज किए गए मुकदमे वापसी करने में कुछ गलत नहीं है।
वहीं इस संबंध में बीजेपी सांसद संजीव बालियान ने कहा कि 131 नहीं 169 मामलों के लिए सरकार को पत्र लिखा था। ये आगजनी और लूटपाट के फर्जी मुकदमे हैं, जो दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज किए गए। बालियान ने कहा कि इनमें एक भी मामला हत्या का नहीं ह।. हत्या के प्रयास के फर्जी मामले थे, जिन्हें वापस लेने की हमने मांग की थी। एक सरकार ने अन्याय किया था, हमारी सरकार न्याय कर रही है। लोगों को फर्जी मामलों में जेल भेजा गया था अब न्याय मिल रहा है।