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अचानक बंगाल बीजेपी में ऐसा क्या हुआ, कि शाह और नड्डा को देना पड़ा दखल , जानें अंदर की कहानी

बंगाल में भाजपा के लिए लग रहा है जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे –वैसे मुश्किलें बढ़ती जा रही है।...
अचानक बंगाल बीजेपी में ऐसा क्या हुआ, कि शाह और नड्डा को देना पड़ा दखल , जानें अंदर की कहानी

बंगाल में भाजपा के लिए लग रहा है जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे –वैसे मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पहले तो रैली में कम भीड़ और उसके बाद अब कार्यकर्ताओं की नाराजगी। जिसकी वजह से अब केंद्रीय नेतृत्व के माथे पर शिकन आ गया है। हालत यह है कि सीधे आलाकमान को राज्य के मामले में दखल देना पड़ रहा है।

असल में भाजपा द्वारा टिकट बंटवारे का ऐलान करने के बाद, स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में भी असंतोष पैदा हो गया है। जिसके वजह से कई शहरों में भाजपा के दफ्तरों में नाराज कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ भी की है। वहीं दो उम्मीदवारों ने टिकट मिलने के बाद भी चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। जो कि पार्टी के लिए काफी असहज स्थिति है।

कई उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होने के बाद कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि जिन लोगों ने केवल सत्ता के लिए हाल ही में भाजपा का दामन थामा है। उन्हें टिकट दे दिया गया है। जबकि पार्टी के लिए वर्षों से काम कर रहे लोगों की अनदेखी की गई है। यही नही जो लोग टीएमसी से भाजपा में आए हैं, उनमें से कई तो भाजपा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार भी करते रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार इस पूरे मामले को आलाकमान ने गंभीरता से लिया है। और इस संबंध में बीते बुधवार को राज्य ईकाई के साथ दिल्ली में चर्चा भी की है। इस चर्चा में शामिल एक नेता का कहना है पार्टी नेतृत्व ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। और इसे जल्द से जल्द हल करने के भी निर्देश दिए हैं।

भाजपा के लिए खड़ी हो गई है ये चुनौतियां

एजेंसी की खबरों के अनुसार गुरूवार को जब भाजपा ने 148 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो उसे असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। मसलन जलपाईगुड़ी सदर विधानसभा क्षेत्र से सुजित सिंघा को पार्टी के उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने डीबीसी रोड जलपाईगुड़ी में पार्टी कार्यालय पर तोड़फोड़ की और पोस्टर फाड़ डाले। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि पुराने नेताओं को टिकट नहीं मिलने से वह नाराज थे।

इसी तरह जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र से अरिंदम भट्टाचार्य को पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ की। वहीं दूसरी ओऱ मालदा के हरिशचंद्रपुर में तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय में ही तोड़फोड़ कर डाली। इसी तरह कोलकाता में बीजेपी ऑफिस के सामने में पूरे दिन हंगामा रहा। पार्टी कार्यकर्ता टिकट बंटवारे से नाराज थे। इसके अलावा दुर्गापुर, दमदम, चोचुड़ा में भी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यालय में भी तोड़-फोड़ की है। और दमदम में रास्ता बंद कर दिया।

टिकट मिलने पर जताई हैरानी, चुनाव से तौबा

पार्टी ने शिखा मित्रा को चौरंगी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा, “मैंने भाजपा से कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहती  हूं। इसके बावजूद उन्होंने अचानक मेरे नाम की घोषणा कर दी। शिखा मित्रा पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोमेन मित्रा की पत्नी हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि हमेशा कांग्रेस में रही हैं अचानक बीजेपी में कैसे चली जाएं। शिखा की तरह बेलगछिया सीट के लिए घोषइ उम्मीदवार तरुण साहा ने भी यह कहते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया कि उन्होंने भाजपा को पहले ही सूचित कर दिया था।

 रैली में भीड़ नहीं

पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक बिकने वाली बंगाली दैनिक आनंदबाजार पत्रिका ने बुधवार को राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं द्वारा संबोधित की गई रैलियों के दौरान खाली कुर्सियों को दिखाते हुए एक पन्ने में चार तस्वीरों को छापा। खाली पड़ी कुर्सियों ने वास्तविक तौर पर पश्चिम बंगाल चुनाव में एक बहस को छेड़ दिया है। राजनीतिक पंडितों ने पूछ डाला है कि क्या ममता बनर्जी शासन को पटखनी देने की उम्मीद पाले बैठी भाजपा ने उस गति को खो दिया है जिसमें वो मस्त थी। 

पिछले कुछ दिनों में देखें तो सल्बोनी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और पश्चिम मिदनापुर जिले के गोल्टोर में राजनाथ सिंह, पूर्वी मिदनापुर जिले के एगरा में नितिन गडकरी ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरुलिया, बाकुरा और पश्चिम मिदनापुर में रैलियों को संबोधित किया। जबकि बांकुड़ा जिले के बिशुनपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रैली को संबोधित किया है। लेकिन, इन दिग्गजों की जनसभा में बहुत कम उपस्थिति देखने को मिला है। आदित्यनाथ की जंगल महल रैली में दावा तो 15 हजार की भीड़ जुटाने का था लेकिन बमुश्किल 4 हजार लोग पहुंचे, वह भी देरी होने पर उठकर जाने लगे। 

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