बंबई उच्च न्यायालय ने 2024 के संसदीय चुनावों में शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) के उम्मीदवार अनिल देसाई के लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि याचिका में ‘‘चुनाव पर सवाल उठाने की कार्रवाई का कारण नहीं बताया गया है।’’
न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की एकल पीठ ने महेंद्र भिंगारदिवे द्वारा दायर चुनाव याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। भिंगारविदे ने भी लोकसभा चुनाव लड़ा था।
भिंगारदिवे ने अपनी याचिका में अनुरोध किया था कि देसाई और चुनाव लड़ने वाले अन्य उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को दोषपूर्ण एवं अपूर्ण होने के कारण अवैध एवं अमान्य घोषित किया जाए। उन्होंने आम चुनाव-2024 में मुंबई दक्षिण मध्य संसदीय क्षेत्र से उन्हें निर्वाचित उम्मीदवार घोषित करने का आदेश दिए जाने का भी अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति देशमुख ने अपने फैसले में कहा कि निर्वाचन अधिकारी ने नामांकन प्रपत्र और हलफनामों की जांच की थी तथा कोई ठोस त्रुटि पाए बिना उन्हें स्वीकार कर लिया था।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पूरी याचिका को पढ़ने के बाद मुझे इस बात का कोई संकेत नहीं मिला कि नामांकन की कथित अनुचित स्वीकृति ने चुनाव को किस तरह प्रभावित किया है। चुनाव पर सवाल उठाने की कार्रवाई का कारण बताने के लिए इस संबंध में दलील देना आवश्यक है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिका यह बताने में विफल रही कि नामांकन पत्र और हलफनामे में कथित त्रुटियों का क्या परिणाम हुआ।
इसमें कहा गया है, ‘‘इस मामले में याचिका में इस बात का एक भी दावा नहीं किया गया है कि कथित चूक/त्रुटि किस प्रकार ठोस हैं और इनके परिणामस्वरूप चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार के बारे में सही तथ्य और जानकारी हासिल करने के नागरिक के मौलिक अधिकार का किस प्रकार उल्लंघन हुआ है।’’
देसाई ने मुंबई दक्षिण मध्य सीट पर एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के मौजूदा सांसद राहुल शेवाले को 53,384 मतों के अंतर से हराया था। देसाई को 3,95,138 वोट मिले थे। ‘राइट टू रिकॉल पार्टी’ के उम्मीदवार भिंगरदिवे को 1,444 वोट मिले थे।
दिलचस्प बात यह है कि निर्वाचन क्षेत्र में 14,000 से अधिक मतदाताओं ने ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) विकल्प चुना।