केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सुबह 8 बजे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में धुंध की घनी परत छा गई और वायु गुणवत्ता 361 तक गिर गई, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया।
निवासियों ने सड़कों पर कम दृश्यता की शिकायत की है तथा उन्हें आंखों में जलन, नाक बहने, सांस लेने में तकलीफ और खांसी की भी शिकायत हो रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सुबह आठ बजे आनंद विहार में एक्यूआई गिरकर 399, पंजाबी बाग में 382 और अशोक विहार में 376 हो गया।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और कोई भी धर्म प्रदूषण पैदा करने वाली किसी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है।
दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने में विफल रहने के लिए अधिकारियों से सवाल करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आगे कहा कि अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो इससे नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता है।
पीठ ने कहा, "प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित किया गया है। प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी भी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है जो प्रदूषण पैदा करती है या लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करती है।"
पीठ ने कहा, "अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो इससे नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता है।"