इस विज्ञापन को लेकर बवाल मच गया है और शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है। खबर है कि पीएमओ ने इस संबंध में पूरी जानकारी तलब की है। बिल्डरों की संस्था क्रेडाई और नगर निगम के अधिकारियों ने घटना के बाद अपने मोबाइल बंद कर लिए हैं।
भोपाल में बिल्डरों की संस्था क्रेडाई ने शहर के प्रमुख अखबार के पहले पेज पर विज्ञापन देकर एलआईजी, ईडब्ल्यूएस मकान अगले दो दिनों में बेचने का विज्ञापन जारी किया है। इस विज्ञापन में बिल्डरों ने इतनी हिमाकत की है कि न केवल प्रधानमंत्री का फोटो सबसे ऊपर छापा है बल्कि इन मकानों के विक्रय को प्रधानमंत्री आवास योजना से भी जोड़कर बता दिया है। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना का इन मकानों के विक्रय से कोई लेना-देना नहीं है। नगर निगम के महापौर आलोक शर्मा और आयुक्त छवि भारद्वाज इस विज्ञापन के बारे में बात करने को तैयार नहीं है। दोनों ही मोबाइल रिसीव नहीं कर रहे है। जबकि विज्ञापन में इन मकानों को बेचने के लिए नगर निगम और बिल्डरों के संयुक्त प्रयास का उल्लेख किया गया है। कायदे से नगर निगम बिल्डरों के साथ मिलकर मकान नहीं बिकवा सकती।
करेंगे एफआईआर
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि प्रधानमंत्री का फोटो तो छोडि़ए किसी भी व्यावसायिक विज्ञापन में उनके नाम का भी उल्लेख करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसीलिए उन्होंने इस विज्ञापन की शिकायत ट्विटर से सीधे पीएम को भेज दी है। अजय दुबे का कहना है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे स्वयं बिल्डरों की इस संस्था के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराएंगे।
क्या है मामला
दरअसल भोपाल में बिल्डरों के दो तीन हजार मकान ऐसे बने पड़े है जिन्हें कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। बिल्डरों ने इन मकानों को ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के रूप में नगर निगम और जिला प्रशासन में गरीबों की सूची के आधार पर बेचने की योजना बनाई। इसके तहत एलआईजी मकान 16 लाख रुपये में और ईडब्ल्यूएस की कीमत 9 लाख रुपये रखी गई है। भोपाल में वर्तमान में बने हुए मकान कलेक्टर गाइडलाइन से 70 से 80 प्रतिशत कीमत पर बिक रहे है। जबकि बिल्डर गरीबों के नाम पर इन मकानों को गाइडलाइन से 90 प्रतिशत कीमत पर बेचना चाहते है।