सलाद के प्लेट और सब्जियों में आपने टमाटर खूब देखें होंगे। लाल रंग के टमाटर। मगर अब झारखंड में काले टमाटर की धमक शुरू हो रही है। रामगढ़ के व्यवसायी महेंद्र सिंह जॉली आप को इसका जायका चखा सकते हैं। उनके किचन गार्डेन में दर्जन के हिसाब से काला टमाटर के पौधे लगे हैं, फल रहे हैं। उनका इरादा झारखण्ड में इसे फैलाने, किसानों को प्रेरित करने का है ताकि किसानों को फायदा मिले और सेहत भी दुरुस्त रहे। महेंद्र सिंह अपनी बगिया में ही काला टमाटर के बीच से पौधे तैयार कर रहे हैं। टमाटर निकला तो उससे पहले चरण में कोई तीन-चार हजार पौधे तैयार कर रहे हैं।
वे कहते है कि इसके पोषक तत्व कैंसर, शुगर और दिल की बीमारी से लड़ने में कारगर हैं। काले टमाटर का सबसे पहले उत्पादन ब्रिटेन में शुरू हुआ। इसका श्रेय रे ब्राउन को जाता है। जेनेटिक मुटेशन के द्वारा इसे तैयार किया गया। इसे इंडिगो रोज टोमेटो भी कहा जाता है। हालांकि महेंद्र सिंह ने अपने रिश्तेदार की मदद से मैक्सिको से काले टमाटर की बीच मंगवाये। कहा कि रामगढ़ की मिट्टी इसके लिए अनुकूल है।
किसानों के लिए भी बेहतर
किसानों के लिए भी काला टमाटर बेहतर है। पारंपरिक लाल टमाटर सीजन के समय में ज्यादा उपज होने पर किसानों के लिए मुश्किल होने लगता है। वाजिब कीमत नहीं मिलती और जल्द खराब होने लगते हैं। जबकि काला टमाटर अपेक्षाकृत ज्यादा दिनों तक टिकाऊ होता है। शुरू में यह हरा, उसके बाद लाल फिर जामुन के रंग की तरह गहरा नीला और अंत में यह काला हो जाता है। हालांकि भीतर में गूदा लाल ही रहता है।
दावा किया जाता है कि काला टमाटर में फ्री रेडिकल्स से लड़ने की क्षमता होती है। ये फ्री रेडिकल्स अति सक्रिय सेल्स होते हैं जो रोग प्रतिरोधक सेल्स को नष्ट कर देते हैं। इस तरह यह कैंसर से बचाव में मददगार है। इसमें पाया जाने वाला एंथोसाइनिन हृदय आघात से बचाव करता है। बैड कोलस्ट्रॉल भी कम करता है। एंटी ऑक्सीडेंट मिनरल्स भी भरपूर मात्रा में होते है। शुगर के मरीजों के लिए तो औषधि की तरह मुफीद होने का दावा किया जात है। बिटामिन ए, सी भी, मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में रहता है।