कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-सदस्यीय पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद हुई हिंसा पर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। बंगाल में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद भड़की हिंसा में कम से कम 16 लोगों की मौत होने की रिपोर्ट है।
पीठ ने महाधिवक्ता किशोर दत्ता को शुक्रवार को आदेश दिया कि हलफनामे में उन जगहों के नाम बताए जाएं जहां हिंसा हुई है। पीठ ने यह भी बताने के लिए कहा कि राज्य सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठाए। मामले की अगली सुनवाई 10 मई को होगी। मामले में याचिकाकर्ता अनिंदय सुंदर दास ने कहा, “राज्य के लोगों का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है।”
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बता दें कि दो मई को नतीजों की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर हिंसा हुई थी। जिसके बाद भाजपा और टीएमसी एक दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को इस हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, "मुआवजा वगैर किसी भेदभाव के दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने हिंसा के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। ममता बनर्जी ने कहा, 'बीजेपी के नेता घूम रहे हैं और लोगों को उकसा रहे हैं। अभी नई सरकार को बने 24 घंटे भी नहीं हुए हैं और वे लेटर भेज रहे हैं। टीमें भेज रहे हैं और नेता यहां आ रहे हैं। बीजेपी जनादेश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। मैं उन लोगों से अपील करती हूं कि वे जनता के आदेश को स्वीकार करें।"
वहीं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बुधवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा में कम से कम 14 भाजपा कार्यकर्ता मारे गए और लगभग एक लाख लोग अपने घरों से भाग गए हैं। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी इस मामले में उनकी भागीदारी की बात कह रही है।