पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई की जांच का आदेश दिया है। राज्य की ममता बनर्जी की सरकार को करारा झटका देते हुए हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। इसके अलावा कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एसआईटी के गठन का भी आदेश दिया है और राज्य सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए भी कहा है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामलों में हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध, बलात्कार सहित मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अन्य सभी मामलों की जांच एसआईटी को सौंपी है।
बता दें कि कोलकाता के पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा, सुमन बाला साहू और रणवीर कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी एसआईटी का हिस्सा होंगे। एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी। कोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी दोनों को 6 सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
बेंच ने बताया कि एसआईटी की निगरानी कोर्ट भी करेगा। मामले की सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि अलग-अलग फैसले हैं लेकिन सभी सहमत हैं। अदालत के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव के बाद की हिंसा में लोगों के साथ मारपीट की गई, उन्हें घर से भागने के लिए मजबूर किया गया और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया और इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई। गौरतलब है कि मामले में 3 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी और हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया, जिसमें न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार शामिल थे। पीठ ने पहले एनएचआरसी अध्यक्ष को "चुनाव के बाद की हिंसा" के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था। रिपोर्ट सौपने के बाद अब अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।