पंजाब में लोकसभा की 13 सीटों पर मतदान के बाद कांग्रेस में जो नए समीकरण बने हैं, उसमें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को अपनी कुर्सी हिलती हुई नजर आ रही है। उन्होंने रविवार को पटियाला में वोट डालने के बाद कयास लगाते हुए कहा कि उनके अपने ही मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू शायद उन्हें हटाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। उन्होंने सिद्धू को महत्वाकांक्षी बताते हुए कहा कि शायद सिद्धू की ख्वाहिश मुख्यमंत्री बनने की है।
हालांकि सिद्धू ने कभी भी इस बात के संकेत नहीं दिए और कैप्टन को हमेशा अपने पिता समान ही बताया। पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान कैप्टन ने यह कहा था कि भविष्य में आप सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री के रूप में देखेंगे। अगर कैप्टन के इन बयानों को सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर और राज्यसभा सदस्य व कांग्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा को टिकट न दिए जाने के घटनाक्रम से जोड़कर देखा जाए तो चुनाव के नतीजे आने के बाद कहीं न कहीं पंजाब कांग्रेस की सियासत में काफी गर्माहट पैदा होने वाली है। आपको घटनाक्रमों के आधार पर बताने जा रहे हैं कि चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस आधा दर्जन सीटें भी नहीं जीत पाती है तो कैप्टन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सिद्धू की पत्नी ने टिकट कटने के लिए कैप्टन को ठहराया था जिम्मेदार:
सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने हाल ही में आरोप लगाया है कि उनका टिकट कटवाने में सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कोई कसर ही नहीं छोड़ी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि अमरेंद्र सिंह और पंजाब प्रभारी आशा कुमारी ने उनका टिकट कटवाने के पुख्ता इंतजाम किए थे। अमृतसर में मीडिया में उन्होंने कहा था कि कैप्टन साहब और आशा कुमारी सोचती हैं कि मैडम सिद्धू संसदीय सीट का टिकट पाने की हकदार नहीं हैं। उन्हें अमृतसर से टिकट लोगों की दशहरा रेल हादसे से पैदा हुई नाराजगी के चलते नहीं दी गई। हाईकमान को लगता था कि मैं अमृतसर से जीत नहीं पाऊंगी। सिद्धू ने भी मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि ‘मेरी पत्नी नैतिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि वह कभी झूठ नहीं बोलेंगी। यही मेरा जवाब है।’ अमृतसर में कांग्रेस ने मौजूदा सांसद गुरजीत सिंह को शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हरदीप सिंह पुरी के सामने उतारा है।
बाजवा ने भी खोला कैप्टन के खिलाफ मोर्चा, बोले-यहां मेरी क्या जरूरत:
वहीं गुरदासपुर में वोट डालने के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान व राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि जब मौजूदा और भविष्य के मुख्यमंत्री पहले से ही मौजूद हैं तो उनकी यहां क्या जरूरत है। जब उनसे पत्रकारों ने सवाल किया कि वह चुनाव प्रचार में गुरदासपुर क्यों नहीं आए तो उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से वहां फतेह सिंह बाजवा ही चुनाव प्रचार कर रहे थे। कैप्टन अमरेंद्र का शुरू से ही बाजवा के साथ छत्तीस का आंकड़ा माना जाता है। दूसरा वह अपने गृह क्षेत्र गुरदासपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, जबकि वहां से उन्हें दरकिनार कर पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ को टिकट दे दिया गया। वोटिंग के दिन उन्होंने अपनी भड़ास आखिर पूरी तरह निकाल ही ली।
चुनाव प्रचार में सिद्धू की करीब 100 रैलियां:
कांग्रेस आलाकमान के आदेशों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू ने विभिन्न राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान करीब 100 रैलियां कीं। उनकी पंजाब में मौजूदगी भी नाममात्र रही। इसके बावजूद सियासत के माहिर और अनुभवी सी.एम. कैप्टन सिद्धू पर इस तरह का बयान दे रहे हैं तो कहीं न कहीं दाल में काला है।