भाजपा शासित राज्य के डीजीपी सुलखान सिंह ने इस बारे में साफ तौर पर कहा है कि गोहत्या व गोस्तरी के मामले में सरकार किसी को नहीं बख्शेगी और सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने एक खास बातचीत में कहा कि हालाकि हर मामले में यह कदम नहीं उठाया जाएगा। मामले की संवेदनशीलता के आधार पर ही इस तरह के कड़े कदम उठाए जाएंगे। गायों से जुड़े अपराधों के बारे में कानून व्यवस्था किसी को भी हाथ में नहीं लेने दी जाएगी। गोहत्या व गोतस्करी के दोषियों पर ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) व गैंगस्टर के तहत मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। इसके अलावा इन अपराधों के दोषियों पर एंटी सोशल एक्टिविटी कानून के तहत भी मुकदमा दर्ज होगा।
पूर्व सरकार में जारी हुआ था शासनादेश
गोहत्या व गोतस्करी का दोषी पाए जाने पर रासुका लगाने का आदेश यूपी की पूर्व अखिलेश यादव की सरकार के समय जारी हुआ था लेकिन तब यह आदेश सख्ती से लागू नहीं किया गया। अब यूपी में भाजपा सरकार के बाद यूपी के डीजीपी ने उसी शासनादेश के आधार पर यह आदेश जारी किया है। मालूम हो कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के साथ ही अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी तथा राज्य में अवैध बूचड़खाने बंद कराने का काम किया गया था।
यूपी के डीजीपी का यह आदेश उस समय आया है जब केंद्र सरकार ने बाजारों में मवेशियों की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने का सर्कुलर जारी किया है। सरकार ने पशु क्रूरता रोकने और मवेशियों को हत्या से बचाने के मकसद से यह अधिसूचना जारी की है हालाकि इसे लेकर देश के कई राज्यों केरल व मेघालय वगैरा में विरोध भी चल रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने 30 मई को चार सप्ताह के लिए इस अधिसूचना पर हालाकि रोक लगा दी है। पिछले सप्ताह केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इस अधिसूचना के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखते हुए कहा कि इस अधिसूचना से राज्य के अधिकारों में कटौती करने का प्रयास किया गया है।