गौरतलब है कि अलीपुर अदालत ने गत शनिवार को मित्रा की जमानत स्वीकार कर ली थी। गिरफ्तारी के बाद मित्रा विभिन्न बीमारियों के कारण 11 फरवरी से एसएसकेएम सरकारी अस्पताल में भर्ती थे। शनिवार 31 अक्टूबर को मित्रा की जमानत मंजूर किए जाने के अगले ही दिन उन्हें फिट घोषित कर दिया गया था और अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई थी।
यह देखते हुए सीबीआई ने मित्रा की जमानत रद्द किए जाने की गुहार लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया। सीबीआई के वकीलों ने सुबह साढ़े 10 बजे सुनवाई शुरू होते ही उच्च न्यायालय की खंडपीठ से कहा कि वह मित्रा की जमानत रद्द किए जाने के संबंध में एक याचिका दायर करने की अनुमति चाहते हैं। न्यायमूर्ति हरीश टंडन की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिन में बाद में उसके समक्ष मामला पेश किए जाने की याचिका स्वीकार कर ली।
सीबीआई अपनी अर्जी पेश कर रही थी और दूसरी ओर मित्रा को तकरीबन उसी समय (साढ़े 10 बजे) वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि मित्रा ने बेचैनी की शिकायत की थी और उन्हें दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर इलाके में उनके आवास से एक एम्बुलैंस के जरिये अस्पताल लाया गया। सीबीआई ने मित्रा को सारदा घोटाले में कथित संलिप्तता के मामले में दिसंबर, 2014 में गिरफ्तार किया था।
वुडलैंड्स अस्पताल की चिकित्सकीय अधीक्षक मालती पुरकैत ने कहा, मित्रा ने सीने में बेचैनी एवं दर्द होने और पसीना आने की शिकायत की थी और एक हृदय रोग विशेषज्ञ उन्हें उनके आवास पर देखने गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराए जाने की सलाह दी गई। उन्होंने कहा, हृदय रोग विशेषज्ञ की देखरेख में मित्रा को अस्पताल में भर्ती किया गया है और उनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है।