पक्ष-विपक्ष के आग्रह के बाद हेमंत सरकार ने छठ के मौके पर नदी, तालाबों के किनारे छठ पूजन की अनुमति दे दी है। इस हद तक ढील के संबंध में आपदा प्रबंधन विभाग संशोधित आदेश जारी कर रहा है। रविवार देर रात आपदा प्रबंधन विभाग ने कोरोना को देखते हुए छठ को लेकर दिशा निर्देश जारी किया था जिसमें नदी, तालाबों, डैम, झीलों के किनारे छठ पर रोक लगा दी गई थी।
मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी, तालाबों के किनारे छठ पूजा की छूट दी गई है। मगर दो गज दूरी के सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजेशन का दृढ़ता से पालन करना होगा। प्रतिबंध के आदेश के खिलाफ सोशल मीडिया में खबरें देशभर में चल रही थीं। खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं। मगर भाजपा इसमें ढिलाई चाहती है। अभी कोरोना गया नहीं है वातावरण में मौजूद है। चौंकाने वाला बयान देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में विधानसभा के चुनाव के लिए झारखंड से बड़ी संख्या में केंद्रीय फोर्स आदि के जवान गये थे। चुनाव कराकर लौटने वालों की जांच कराई गई जिसमें पचास फीसद से अधिक जवान कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। चुनाव और छठ के बाद बिहार से लौटने वालों की जांच के बाद उनके बारे में पता चलेगा। उन्होंने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में व्यापक पैमाने पर लोग छठ मानाते हैं। आस्था के बावजूद कोरोना को भी देखना होगा। मगर भाजपा राजनीति कर रही है। भाजपा, कांग्रेस और झामुमो ने खुद सरकारी आदेश में संशोधन की मांग की थी। भाजपा के रांची सांसद और स्थानीय विधायकों ने तो तालाबों में उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था।
इधर रविवार के आदेश में संशेधन पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि तुगलकी फरमान की वापसी जन भावनाओं और पूजा समितियों की जीत है, सनातनियों की जीत है, लोक आस्था के पर्व के श्रद्धालुओं की जीत है। हेमंत सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जीत है। इसके पूर्व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, मानस सिन्हा, विधायक ममता देवी, प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद शमशेर आलम आदि का शिष्टमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला और छह पूजा पर प्रतिबंध के आदेश में ढील की मांग की। मौके पर आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता भी थे। इस मसले पर कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह ने भी मुख्यमंत्री से बात कर ढील का आग्रह किया।