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छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामदास जी टंडन बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामदास जी  टंडन अपना बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे।  उन्होंने वित्त विभाग एवं...
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामदास जी  टंडन बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामदास जी  टंडन अपना बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे।  उन्होंने वित्त विभाग एवं महालेखाकार को राजभवन से पत्र लिख कर बढ़ा हुआ वेतन लेने से इनकार कर दिया है। इस पत्र में उन्होंने साफ किया है कि राज्यपालों को पूर्व में जितना वेतन मिल रहा था वह उनके लिए काफी है, लिहाजा उन्हें बढ़ा हुआ वेतन की जरूरत नहीं  है। 

अभी तक  देश के किसी प्रदेश के राज्यपाल ने बढ़े हुए वेतन का लाभ उठाने से इनकार करने की ऐसी कोई और पेशकश सामने नहीं आई है, हालांकि संवैधानिक प्रावधानों के तहत वेतन और भत्तों के अलावा भारी भरकम रकम राजभवन और राज्यपालों पर खर्च होती है। राजभवन में होने वाले तमाम खर्चों को राज्य सरकार वहन करती है. इसमें राजभवन में होने वाले तमाम सरकारी और गैरसरकारी आयोजनों का खर्चा सरकारी तिजोरी से व्यय किया जाता है।  इसके लिए हर साल बजट में करोड़ों की रकम आवंटित की जाती है।  ख़ास बात यह है कि राजभवन के बजट को अनआकउंटेबल श्रेणी में रखा गया है।  इसका लेखाजोखा न तो सूचना के अधिकार  के दायरे में है और न ही इसे राजभवन सार्वजनिक करता है।

केंद्र सरकार ने हाल ही में राज्यपालों का वेतन एक लाख 10 हजार रुपये से बढ़ा कर सीधा तीन लाख 50 हजार रुपये कर दिया है। यह वेतन एक जनवरी 2016 से देय होगा। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने न केवल बढ़ा वेतन लेने से इनकार किया है बल्कि बढ़ा हुआ एरियर भी लेने से इनकार कर दिया है।  जनवरी 2016 से अबतक राज्यपाल बलरामदास टंडन का करीब 69 लाख रुपये बकाया है। 

बढ़े हुए इस वेतन के अलावा भत्ते की रकम अलग है, लेकिन उन्होंने दरियादिली दिखाई और महालेखाकार को पत्र लिखकर बकाया रकम सरकारी खाते में जमा करने का निवेदन किया है।  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मार्च 2018 में राजपत्र जारी कर राज्यपाल के वेतन और भत्तों में वृद्धि का ब्यौरा पेश किया था।  इसमें वेतन को एक लाख दस हजार रुपये से बढ़ाकर तीन लाख पचास हजार रुपये करने की अधिसूचना जारी की गई थी। 

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