तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र सहित 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा है। जिममें उन्होंने “संविधान में परिकल्पित शिक्षा क्षेत्र पर राज्यों की प्रधानता बहाल करने के लिए एकजुट प्रयास करने की अपील की है।
असल में, मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) स्नातक को लेकर पैदा विवाद तमिलनाडु में कुछ छात्रों के आत्महत्या करने की खबर के बाद गहरा गया है। इसके चलते तमिलनाडु सरकार ने राज्य विधानसभा में एक विधेयक पारित किया है जिसमें कहा गया है कि राज्य के छात्र अब नीट प्रवेश परीक्षा में हिस्सा नहीं लेंगे, अब इस फैसले के औचित्य को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
तमिलनाडु में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) का वंचित वर्ग के छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन के लिए गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए के राजन समिति ने भी कहा है कि यह परीक्षा राज्य को स्वतंत्रता से पहले के समय में ले जाएगी।
समिति ने कहा कि सरकार को कानूनी और विधि सम्मत प्रक्रिया अपनाते हुए इसे हर स्तर पर समाप्त कर देना चाहिए। राज्य सरकार को पहले सौंपी गई समिति की रिपोर्ट 20 सितंबर को सार्वजनिक की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार चिकित्सा शिक्षा के लिए नीट की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए वैकल्पिक तौर पर एक कानून बना सकती है और उस पर राष्ट्रपति की मंजूली ले सकती है।