राम गोपाल जाट।
राजस्थान सरकार प्रदेश के सरकारी महाविद्यालों में 'ड्रेस कोड' लागू करने के अपने फैसले से पीछे हट गई। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार को ट्वीट कर यूनिफॉर्म को स्वैच्छिक करने की बात कही।
वसुंधरा राजे ने आज दोपहर अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा है कि "कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने छात्र प्रतिनिधियों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य करने के निर्देश जारी किए थे। कल मुझे मालूम हुआ कि कई छात्राएं इस फैसले से सहमत नहीं हैं जिसके चलते अब कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनना स्वैच्छिक किया जाता है।"
कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने छात्र प्रतिनिधियों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य करने के निर्देश जारी किये थे। कल मुझे मालूम हुआ कि कई छात्राएं इस फैसले से सहमत नहीं हैं जिसके चलते अब कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनना स्वैच्छिक किया जाता है।
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) March 13, 2018
वसुंधरा राजे ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक के बाद एक दो ट्वीट किए, जिनमें स्वैच्छिक ड्रेस लागू करने और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने का हवाला दिया गया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि "हम प्रदेश में छात्राओं का पढ़ाई में प्रदर्शन बेहतर करने के लिए और उनके व्यक्तिगत विकास को प्रगति देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और करते रहेंगे।"
हम प्रदेश में छात्राओं का पढ़ाई में प्रदर्शन बेहतर करने के लिए और उनके व्यक्तिगत विकास को प्रगति देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और करते रहेंगे। #GirlsFirst
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) March 13, 2018
दरअसल, बजट सत्र के दौरान राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी सरकारी महाविद्यालयों में एक ड्रेस कोड लागू करने के लिए निर्देश जारी किए थे। जिसमें सभी छात्रों को पैंट, शर्ट, जूते व सर्दी में जर्सी की अनिवार्यता की थी। साथ ही गर्ल्स के लिए सलवार-सूट और चुन्नी इसके विकल्प के रूप में साड़ी और सैंडल साथ ही साथ सर्दियों में स्वेटर का विकल्प था।
राज्य सरकार के इस फैसले से राजस्थान के सभी कॉलेजों में छात्र-छात्राओं ने विरोध किया। विधानसभा के अंदर और बाहर कांग्रेस पार्टी ने भी राज्य सरकार के इस फैसले को भगवाकरण करार देते हुए तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की। हालांकि, सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा था कि सभी महाविद्यालयों में महाविद्यालयों के छात्रसंघ पदाधिकारियों, डीन संकाय, कॉलेज के प्राचार्य से राय करने के बाद ही ड्रेस कोड लागू किया जाएगा।
जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा विरोध था, वह ड्रेस का कलर बताया जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार ड्रेस कोड के नाम पर सरकारी महाविद्यालयों में भगवा रंग की पोशाक लागू करने पर विचार कर रही थी। इससे पूर्व राज्य के सरकारी विद्यालयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं को साइकिल दी जाती है, जिनका रंग भी भगवा किया हुआ है।