प्रदेश में मुगलसराय स्टेशन के बाद जल्द ही इलाहाबाद का नाम भी बदलेगा। संतों की मांग पर कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने के संकेत दिए हैं। इस पर राज्यपाल ने भी सहमति जताई है। सरकार जल्द ही औपचारिकताएं पूरी कर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर देगी।
इलाहाबाद में अगले साल 14 जनवरी मकर संक्रांति से चार मार्च महाशिवरात्रि तक लगने वाले कुंभ मेले के लिए प्रदेश सरकार की तैयारियां जोरों पर हैं। कुंभ मेले को अंतरराष्ट्रीय रूप देने के लिए सरकार की कोशिश है। इसके लिए इलाहाबाद में करीब चार हजार करोड़ से ज्यादा के कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अलावा पहली बार भारतीय प्रवासी दिवस भी इस बार वाराणसी में मनाया जाएगा। इसमें शामिल होने वाले करीब पांच हजार प्रवासियों को कुंभ का भ्रमण भी कराया जाएगा।
इलाहाबाद का नाम बदले जाने के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तर्क यह है कि दो नदियों का जहां भी संगम होता है, वहां का नाम प्रयाग होता है। उत्तराखंड में देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग आदि इसके उदाहरण हैं। अखाड़ा परिषद के प्रस्ताव से वे सहमत हैं और सरकार ने पहले ही मेला प्राधिकरण का नाम प्रयाग राज मेला प्राधिकरण रखा है। यहां पर हिमालय की दो पवित्र नदियों गंगा और यमुना का संगम है तो यहां का नाम देव प्रयाग ही होना चाहिए। कुंभ में श्रद्धालु संगम तट के किले में स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप का भी दर्शन कर सकेंगे।
कुंभ से पहले पांच कुंभ
कुंभ से पहले पांच वैचारिक कुंभ होंगे। वाराणसी में पर्यावरण कुंभ, वृंदावन में नारीशक्ति कुंभ, अयोध्या में समरसता कुंभ, लखनऊ में युवा कुंभ, इलाहाबाद में संस्कृति कुंभ होंगे। मुख्यमंत्री ने रेलमार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए भी बड़ी घोषणा की। रेलवे का सरचार्ज बढ़ाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई सरचार्ज नहीं बढ़ेगा।
नवंबर तक काम पूरा होना मुश्किल
कुंभ की तैयारियों को लेकर इलाहाबाद में ढेरों विकास कार्य कराए जा रहे हैं। सरकार की ओर से नवंबर माह तक सभी कार्य पूरे करने की डेडलाइन घोषित की गई है। विकास कार्यों की गति धीमी होने के कारण नवंबर तक सभी कार्य पूरे होने में संशय है। इसके लिए मुख्य सचिव ने भी कई निर्देश जारी किए हैं, लेकिन धरातल पर काम में तेजी नहीं आ पा रही है।