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कोल घोटाला: आरएसपीएल, तीन अधिकारियों पर आरोप तय

एक विशेष अदालत ने मंगलवार को कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में दिल्ली स्थित कंपनी राठी स्टील एंड पावर लिमिटेड (आरएसपीएल) एवं इसके तीन शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए।
कोल घोटाला: आरएसपीएल, तीन अधिकारियों पर आरोप तय

विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने कहा, सभी चार आरोपियों के खिलाफ आरोप भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) को जोड़ते हुए धारा 420 के तहत तय किए गए हैं। आरएसपीएल और आरोपी उदित राठी के खिलाफ आरोप धारा 420 के तहत तय किए गए हैं। सभी आरोपियों ने अपराध स्वीकार नहीं किया है और सुनवाई की मांग की है।

दस्तावेजों को दो जून को स्वीकार या खारिज किया जाएगा। अदालत ने सात मई को आरोप तय करने संबंधी आदेश सुनाने के लिए मंगलवार का दिन तय किया था। इस मामले में आरएसपीएल और इसके शीर्ष अधिकारियों प्रबंध निदेशक प्रदीप राठी, प्रमुख कार्यपालक अधिकारी उदित राठी और एजीएम कौशल अग्रवाल के खिलाफ सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया है।

यह मामला छत्तीसगढ़ में आरएसपीएल को केस्ला नॉर्थ कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आने वाले अपराधों के लिए आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं।

मामले में आरोप तय करने के संबंध में दी जा रही दलीलों के दौरान सभी आरोपियों ने दावा किया कि सीबीआई यह बताने में पूरी तरह से विफल रही है कि आरएसपीएल को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के कारण सरकार या किसी अन्य को कोई नुकसान हुआ है। बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि आरोपी कंपनी ने केस्ला नॉर्थ ब्लॉक से कोई कोयला नहीं निकाला, न ही गलत तरीके से कोई लाभ अर्जित किया और न ही इससे किसी को कोई नुकसान हुआ।

उन्होंने दलील दी थी कि प्रथम दृष्ट्या आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र के अपराध दिखाई नहीं देते। सीबीआई ने हालांकि उनकी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि आरएसपीएल और इसके अधिकारियों ने 36वीं जांच समिति के समक्ष कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए 250 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के संबंध में तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया था।

मामले के तीन आरोपी व्यक्तियों को पहले अदालत ने जमानत दे दी थी। ये लोग अपने खिलाफ जारी हुए समन के चलते अदालत के समक्ष पेश हुए थे। सीबीआई ने आपराधिक षडयंत्र और धोखाधड़ी के कथित अपराधों के लिए आरएसपीएल और उदित राठी को ही आरोपित किया था। आरएसपीएल को 5 अगस्त 2008 को छत्तीसगढ़ के कोरबा में केस्ला नॉर्थ कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया था।

आरोपपत्र पर गौर करने के बाद अदालत ने चारों आरोपियों को समन भेजे थे। इन आरोपियों में प्रदीप राठी और कौशल अग्रवाल भी शामिल थे। अदालत ने आरोपियों को यह समन इस बात पर गौर करने के बाद भेजे थे कि उन्होंने जमीन पर अधिकार से जुड़े तथ्यों को गलत ढंग से पेश करके कोयला मंत्रालय को कथित तौर पर धोखा दिया था। जमीन पर अधिकार होना कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले में एक प्रमुख कारक था।

अदालत ने पाया कि यह अधिकारी सात फरवरी 2008 को आरएसपीएल की ओर से एक प्रस्तुति और एक दस्तावेज देने के लिए जांच समिति के समक्ष पेश हुए थे। सीबीआई ने आरएसपीएल, इसके निदेशकों, उदित राठी और 36वीं जांच समिति के सदस्यों और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 420 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आने वाले अपराधों के आरोप दर्ज किए गए थे।

बाद में एक आरोपपत्र सिर्फ आरएसपीएल और उदित राठी के खिलाफ दायर किया गया। आरएसपीएल के अन्य निदेशकों और 36वीं जांच समिति के सदस्यों के बारे में सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप जांच में साबित नहीं हो सके।

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