विज ने एक ट्वीट किया जिसमें खट्टर को धन्यवाद दिया उनके मंत्रालय में रूचि लेने के लिए। विज के इस ट्वीट से सियासी मायने निकाले जाने लगे। विपक्षी पार्टियां चुटकी लेने लगी। विज इससे पहले भी ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधते रहे। विज के मंत्रालय द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री जरूर शिरकत करते है। कई ऐसे मौके भी आए जिसमें विज को बाद में पता चला कि उनके विभाग का कोई कार्यक्रम भी है। उधर मनोहर लाल खट्टर सफाई दे रहे हैं कि उनका कोई विवाद है।
लेकिन हाल की कुछ घटनाओं से लगता है कि कुछ न कुछ विवाद है। भले ही वह विवाद सतह पर न आए लेकिन परदे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है। जिसकी पुष्टि कुछ भाजपा नेता भी करते हैं। दरअसल हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले अनिल विज मुख्यमंत्री के दावेदार बताए जा रहे थे। हर तरफ चर्चा भी यही थी कि अगर भाजपा की सरकार बनती है तो विज मुख्यमंत्री होंगे। क्योंकि विज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से हैं और भाजपा नेताओं से भी उनकी अच्छी पकड़ है। ऐसे में विज का पलड़ा भारी था।
लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली सफलता ने विज के हाथ से कुर्सी छिन ली और संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बना दिया। पहली बार विधानसभा चुनाव जीते खट्टर को मुख्यमंत्री बनाए जाने से भाजपा नेताओं में विरोध होने लगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दबाव के आगे किसी ने विरोध नहीं किया। दिल्ली में भाजपा की हार के बाद भाजपा नेताओं को यह लग गया कि अब मोदी लहर खत्म हो चुकी है उसके बाद विरोध का स्वर सुनाई पड़ने लगा। झारखंड में मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी हाे रही है।