कांग्रेस नेता राजू वाघमारे ने कहा, यदि हमारे देश में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो हम सभी के लिए यह बहुत शर्मनाक है। राज्य सरकारों को ऐसी चीजों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
एक अन्य कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन ने इस दर्दनाक घटना को लेकर सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं मांगीं। उन्होंने कहा कि देश में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। सरकारी अस्पतालों की स्थिति काफी दयनीय है। वडक्कन ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को आपातकालीन सेवाओं का समर्थन करना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की घटनाएं राष्ट्र के लिए चौंकाने वाली हैं। उन्होंने कहा कि अगर अस्पताल में शव वाहन उपलब्ध नहीं हैं, तो वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए अगर इस तरह की घटनाएं जारी रहेंगी, तो लोग हमारी आपातकालीन सेवाओं से विश्वास खो देंगे।
पूर्णिया जिले की इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर हम सब को दीना मांझी की याद दिला दी। जिसने पिछले साल सितंबर में ओडिशा के एक अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस देने से मना करने पर दीना मांजी अपनी पत्नी का शव कंधे पर लादकर लगभग 10 किमी. तक पैदल ले कर गया था।
कुछ इसी तरह का वाकया बिहार के पूर्णिया जिले में घटित हुआ। अस्पताल प्रशासन द्वारा एंबुलेंस नहीं दिए जाने के बाद एक पति अपनी पत्नी का शव मोटरसाइकिल पर लादकर घर ले जाने को मजबूर हो गया यह दुखद वाकया 60 वर्षीय शंकर साह के साथ घटित हुआ। उनकी 50 वर्षीय पत्नी सुशीला देवी की मौत पूर्णिया सदर अस्पताल में टीबी और दिल की बीमारी के कारण हो गई थी। हालांकि, पूर्णिया के डीएम ने कहा, उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
दरअसल, साह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने के लिए उसके शव को अपने गांव ले जाना चाहते थे। इसके लिए साह ने अस्पताल के कर्मचारियों से भी मदद मांगी, लेकिन उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिली। वहीं, साह ने जब प्राइवेट एम्बुलेंस लेने की कोशिश की तो ड्राइवर ने उनसे 1500 रुपए मांगे। साह के पास इतने रुपए नहीं थे। इसके बाद साह ने अपने 32 वर्षीय बेटे पप्पू की मदद से सुशीला के शव को बाइक पर लादकर घर ले गया।