महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर शनिवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक संपन्न हुई। बैठक के बाद फडणवीस ने कहा कि उन्होंने पिछड़ा आयोग से आग्रह किया है कि वह अपनी रिपोर्ट सौंप दे। रिपोर्ट आने के बाद हम विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे। इस बीच, सकल मराठा समाज के कहा है कि उसका सरकार पर विश्वास नहीं है। उन्हें फैसला लेना चाहिए हम उनके साथ आगे कोई बात नहीं करना चाहते हैं।
फडणवीस ने लोगों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और कोई बहुत बड़ा कदम न उठाएं। सीएम ने कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे पर सभी पार्टियों की राय समान है। उऩ्होंने कहा कि सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए एक कानून बनाया था लेकिन इस पर हाइकोर्ट ने रोक लगा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम स्थिति की गंभीरता को समझते हैं पर आरक्षण सिर्फ पिछड़ा आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्वश आयोग के पहले अध्यक्ष का निधन हो गया। इसके बाद हमने दूसरे को अध्यक्ष बनाया है। इसकी वजह से थोड़ी देर हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलन के दौरान लोगों पर हुए केस वापस लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि वे पुलिसकर्मियों पर हमले और आगजनी के अलावा सभी मुकदमे वापस ले लें।
फडणवीस ने कहा कि अगर किसी कॉलेज के पास कोई व्यावहारिक समस्या है तो उऩके साथ सहयोग किया जाएगा लेकिन अगर वे फीस में रियायतों को लेकर मराठा छात्रों को परेशान कर रहे होंगे तो शिक्षा विभाग उनकी मान्यता रद्द कर देगा।
दूसरी ओर, सकल मराठा समाज ने कहा कि हमारी मांग है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मंत्री चंद्रकांत पाटिल माफी मांगे। हमारी यह भी मांग है कि आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और महिलाओं पर लाठी चार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो। अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो हम एक अगस्त से जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे।