एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद लखनऊ के बहुचर्चित विवेक हत्याकांड से पर्दा उठ गया है। एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या की एसआईटी जांच में सिपाही प्रशांत को दोषी पाया गया है और उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत चार्जशीट किया गया है। जांच में सामने आया है कि सिपाही प्रशांत ने जानबूझकर विवेक तिवारी को गोली मारी थी। जबकि दूसरे आरोपी संदीप कुमार को हत्या के आरोप से क्लीन चिट दे दी गई है, लेकिन विवेक की सहकर्मी से मारपीट के आरोप में उसे आईपीसी की धारा 323 के तहत चार्जशीट किया गया है।
मामले में लापरवाही बरतने पर तत्कालीन सीओ चक्रेश मिश्रा और इंस्पेक्टर डीपी तिवारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी एसआईटी ने की है। पड़ताल में यह सामने आया है कि विवेक के गाड़ी से भागने से सिपाहियों को जान का खतरा नहीं था। इसके बावजूद प्रशांत ने निशाना लगाकर गोली चलाई थी।
दूसरा आरोपी सिपाही संदीप कुमार का कहना है कि वह शुरू से कह रहा था कि इस घटना में प्रशांत के साथ ड्यूटी के कारण उसका नाम लिया जा रहा है और उसका कसूर इतना था कि वारदात के वक्त वह प्रशांत के साथ था। संदीप की जमानत के लिए आज कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी। हालांकि विवेक के परिजनों का कहना है कि पूरी घटना में जितना सिपाही प्रशांत दोषी है, उतना ही दूसरा सिपाही भी दोषी है और उसे भी हत्या का आरोपी बनाना चाहिए था।
38 सेकेंड में चला दी गोली
एसआईटी रिपोर्ट के अनुसार रात में पुलिस के आने और सिपाही की हरकत से डरे विवेक के गाड़ी आगे बढ़ाते ही सामने खड़ी बाइक के अगले हिस्से से टायर रगड़ गया। बैक करके दोबारा आगे बढ़ने के दौरान टक्कर लगने से बाइक सहित गिरने पर प्रशांत ने पिस्टल निकाल ली और बिना चेतावनी दिए फायर कर दिया। प्रशांत के बाइक गिरने से लेकर उठकर गोली चलाने में महज 38 सेकेंड लगे। सना ने बयान में कहा है कि पूरे घटनाक्रम के दौरान सिपाहियों से बातचीत नहीं हुई थी।