कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए जेलों में बंद कोई सात हजार बंदियों को पैरोल पर जेल से बाहर निकाला जायेगा। इससे संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है।
कारा निदेशालय ने जेलों को इस सूचना से अवगत करा दिया है। रिहाई तीन-चार माह के लिए होगी। पिछले साल कोरोना के पहले चरण के दौरान ही रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा जहां कभी लालू बंद थे बंदी और जेलकर्मी मिलाकर दो सौ से अधिक लोग कोरोना संक्रमित पाये गये थे। उस समय भी औपबंधिक जमानत या पैरोल पर छोड़ा गया था।
अभी भी जेलों से संक्रमण की सूचनाएं आ रही हैं। जेलों में कोरोना विस्फोट हो इसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश मददगार के रूप में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गृह विभाग ने बंदियों की रिहाई को लेकर अपनी पहल शुरू कर दी है। राज्य की 29 जेलों में करीब 23 हजार बंदी हैं। जिनमें करीब दस हजार सजायाफ्ता और 13 हजार विचाराधीन हैं। लगभग सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं।
गृह विभाग ने इन बंदियों में से सात हजार बंदियों को औपबंधिक जमानत या पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया है। उन बंदियों को रिहा किया जायेगा जो मामूली अपराध में सजा काट रहे हैं या छोटे अपराध में विचाराधीन कैदी के रूप में हैं बंद हैं। बाहर निकलने के बाद इन्हें लगातार अपने थाना के संपर्क में रहना होगा।