उच्चतम न्यायालय ने लद्दाख हिल परिषद चुनाव के संबंध में निर्वाचन विभाग की पांच अगस्त की अधिसूचना बुधवार को रद्द कर दी और सात दिन के भीतर नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने नेशनल कांफ्रेंस को ‘हल’ चिह्न आवंटित करने का विरोध करने वाली लद्दाख प्रशासन की याचिका भी खारिज कर दी और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। न्यायालय के फैसले का उमर अब्दुल्ला ने स्वागत किया है।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और लद्दाख प्रशासन ने नेकां उम्मीदवारों को उनके अधिकार से वंचित करने के लिए ‘हर संभव कोशिश’ की, लेकिन अदालत ने इसे भांप लिया।
उमर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस को वह फैसला मिला, जो हम चाहते थे और जिसके हम हकदार थे। आज माननीय शीर्ष अदालत ने हमें हमारा चुनाव चिह्न ‘हल’ दे दिया।”
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया और कहा, “भाजपा ने पूरी तरह से पक्षपाती लद्दाख प्रशासन की मदद से हमें हमारे अधिकार से महरूम करने की हर मुमकिन कोशिश की। अदालत ने इस पर गौर किया और प्रशासन पर एक लाख का जुर्माना लगाया। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस करगिल को बधाई और उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत के सामने शानदार पैरवी करने के लिए शरीक रियाज का बहुत-बहुत शुक्रिया।”
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने नेशनल कांफ्रेंस उम्मीदवारों को पार्टी के चिह्न पर लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी), करगिल का आगामी चुनाव लड़ने की अनुमति देने वाले एकल पीठ के आदेश के खिलाफ लद्दाख प्रशासन की याचिका खारिज कर दी थी।
प्रशासन ने नौ अगस्त के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ का रुख किया था, जिसने नेशनल कांफ्रेंस को चुनाव के लिए पहले से आवंटित चिह्न ‘हल’ को अधिसूचित करने के लिए लद्दाख प्रशासन के निर्वाचन विभाग के कार्यालय से संपर्क करने का निर्देश दिया था।
बता दें कि पांच अगस्त को निर्वाचन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, 30 सदस्यीय एलएएचडीसी, करगिल की 26 सीटों के लिए मतदान 10 सितंबर को होना था, जबकि वोटों की गिनती के लिए चार दिन बाद की तारीख निर्धारित की गई थी।