कोरोना से लोग कराह रहे हैं मगर अब खतरा पशुओं पर भी मंडराने लगा है। यह नया स्ट्रेन भी पैदा कर सकता है। इसकी आशंका देखते हुए झारखंड सरकार ने कोविड 19 के संक्रमित लोगों को पशुओं से दूर रहने साथ ही कच्चा दूध, अंडा या मांस सेवन नहीं करने की सलाह दी है। प्रारंभिक दौर में चमगादड़ और चीन के मांस बाजार से इसके फैलने को लेकर आशंका जाहिर की गई थी। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति के पशुओं के संपर्क में आने और उसकी प्रतिक्रिया को लेकर झारखंड सरकार की चिंता है। हालांकि अभी तक प्रदेश में पशुओं में इसके संक्रमण की आधिकारिक सूचना नहीं है। इसी माह हैदराबाद के चिड़िया घर में आठ शेरों के कोरोना संक्रमित होने के बाद झारखण्ड में इस पर मंथन शुरू हो गया था।
पशुपालन विभाग ने जिला पशुपालन अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किया है। इसके पहले बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी विभाग ने पशुपालकों के लिए पालतू पशुओं की देखभाल और संक्रमण से बचाव के लिए दिशा निर्देश जारी किया था। दरअसल गाय, बकरी, शुकर, भेंड, कुत्ते आदि आदमी के सीधा संपर्क में आते हैं ऐसे में संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से पशुओं में संक्रमण और उसके असर का नतीजा खराब हो सकता है। वेटनरी विभाग के डीन सुशील प्रसाद के अनुसार कोरोना संक्रमण जानवरों में फैलने लगा तो ग्रामीणों पर इसका खराब असर पड़ेगा। संक्रमित व्यक्ति के मास्क लगाकर, मुंह ढककर ही पशुओं के पास जाने की सलाह दी गई। वहीं पशुओं की रोग निरोधक क्षमता को बरकरार रखने के लिए पौष्टिक आहार देने, चारा को बेहतर तरीके से धोने, आहार के पैकेट को एथेनॉल-मेथेनॉल से स्प्रे करने, बथान की सफाई आदि पर जोर दिया गया था।
जिला पशुपालन पदाधिकारियों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि जूनोटिक रोग ( जिसका प्रसार जानवरों और पक्षियों के माध्यम से मनुष्य में होता है) होने की आशंका के कारण पशुओं में संक्रमण की संभावना है। संक्रमित पशु और मनुष्य या मनुष्य और पशु की निकटता के कारण नये म्यूटेंट ट्रेन में परिवर्तित होने की संभावना बनी रहती है। कहा गया है कि शूकरों में इस विषाणु के मिक्सिंग वैसल्स के रूप में काम करने के सबूत मिले हैं। ऐसे में नये स्ट्रेन के विकसित होने की आशंका है। वैसे हैदराबाद में शेरों में कोरोना संक्रमण की सूचना के बाद यहां भी जू में सकर्तता के आदेश जारी किये गये थे। हालांकि अभी लॉकडाउन के कारण चिड़ियाघर भी बंद हैं।