Advertisement

कौन हैं IAS अधिकारी गगनदीप बेदी, जिन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में चेन्नई का 'सिस्टम' बदल डाला

मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा कई नियुक्तियों में...
कौन हैं IAS अधिकारी गगनदीप बेदी, जिन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में चेन्नई का 'सिस्टम' बदल डाला

मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा कई नियुक्तियों में से ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के आयुक्त के रूप में गगनदीप सिंह बेदी की नियुक्ति को एक वास्तविक मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा गया।

उस वक्त राज्य की राजधानी में एक दिन में करीब 7 हजार कोविड के नए मामले दर्ज किए जा रहे थे। इसकी वजह से एम्बुलेंस, अस्पताल के बेडों और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर भारी बोझ पड़ रहा था। सीएम स्टालिन को एक ऐसे अधिकारी की आवश्यकता थी, जिनका इस आपदाओं से निपटने का बेहतर ट्रेक रिकॉर्ड हो और साथ में मामले को नए घुमाउदार तरीके से बढ़ रहे केस को कंट्रोल कर सके।

सीएम स्टालिन ने 53 वर्षीय बेदी को चेन्नई निगम के प्रमुख के रूप में चुना। हालांकि, 1993 बैच के बेदी कृषि विभाग के प्रमुख सचिव थे और चेन्नई निगम के आयुक्त के पद पर आमतौर एक मध्य स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाती थी। लेकिन नई स्टालिन सरकार ने बेदी के 26 वर्षों के अनुभव पर भरोसा किया और उन्हें ये जिम्मेदारी दी। खास तौर से उन वर्षों में जब आईएएस बेदी ने 2004 की सुनामी, 2005 कुड्डालोर बाढ़, चार बार आए चक्रवात और 2015 में फिर से कुड्डालोर में आई बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आगे बढ़कर नेतृत्व किया।

जिम्मेदारी मिलते ही गगनदीप बेदी अपनी टीम के साथ नई रणनीतियों को लिए काम में जुट गएं। उन्होंने समुदाय संचालित रोकथाम और केस प्रबंधन के लिए जल्दी से चेन्नई मॉडल विकसित किया। उठाए गए मुख्य कदमों में से एक फीवर सर्वे वर्कर्स (एफएसडब्ल्यू) को घर-घर भेजना और उच्च तापमान वाले लोगों के लिए टेस्टिंग के साथ इसका पालन करना था। इसी तरह हॉटस्पॉट घोषित गलियों में बुखार शिविर आयोजित किया गया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि किसी में भी कोरोना के हल्के लक्षण न हों। बेदी ने कहा, "पहले सप्ताह के भीतर हमने 12,000 एफएसडब्ल्यू की भर्ती की थी, जिनमें से प्रत्येक ने 100-150 घरों को कवर किया और आरटी-पीसीआर टेस्टिंग के लिए बुखार शिविरों में लाया गया, जिनमें किसी भी तरह के लक्षण दिखे।"

 

चेन्नई कॉर्पोरेशन के एक अधिकारी ने बताया, “जब एम्बुलेंस की कमी हुई तो बेदी ने पूछा कि क्यों न कैब को छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर से लैस किया जाए। आखिर जरूरत तो अस्पताल जाने की है। और जब अस्पतालों के बाहर इंतजार करते मरीजों की लाइनें खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी तब वो निगम के स्वास्थ्य केंद्रों में "ऑक्सीजन केंद्र" बनाए जाने के विचार के साथ आए, जो अस्पताल में विस्तर उपलब्ध होने तक होल्डिंग सेंटर के रूप में कार्य करेगा।" इससे इतर ये ऑक्सीजन केंद्रों को अस्पतालों से छुट्टी मिलने के बाद न्यूनतम O2 यानी ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए स्टेप डाउन सेंटर बन गया।

 

जब कोविड पीड़ितों के परिवार वालों ने श्मशान घाट पर कर्मचारियों द्वारा अंतिम संस्कार के लिए पैसा मांगने के खिलाफ शिकायत की तो नाराज अधिकारी बेदी ने तुरंत कदम उठाते हुए इस तरह की गलती करने वाले परिचारकों को निलंबित कर दिया और एक स्वच्छ-अधिक मानवीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए नई प्रणाली लागू किया। ये देखते हुए कि कई बाहरी लोग श्मशान परिचारक होने की आड़ में कोविड पीड़ित परिवार वालों का शोषण कर रहे थे, उन्होंने सही कर्मचारियों को पहचान पत्र एवं वर्दी जारी किया ताकि लोग उन्हें पहचान सके।

 

आपदाओं के प्रबंधन में अपने अनुभव के साथ सूनामी, बाढ़, चक्रवात और अब महामारी को नियंत्रित करने वाले बेदी ने पंजाब के होशियापुर से इंजीनियरिंग की है। अब वो किसी भी घटना के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं का एक सेट प्रसारित कर रहे हैं जो इन आपदाओं को सामने रख सकता हैं। जब उन्होंने अपने तबादले के विरोध और बंद के बावजूद कुड्डालोर छोड़ा, तो उनके बाद आए अधिकारी को जिले के संवेदनशील बाढ़ क्षेत्रों, प्रभावितों को स्थानांतरित करने के लिए सुरक्षित ठिकाने और राहत- पुनर्वास के लिए एसओपी पर एक पुस्तिका मिली। कुड्डालोर के किसान आज भी याद करते हैं कि कैसे उन्होंने नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन को राज्य सरकार के पैसे के साथ-साथ बड़े वालजाह झील और इसकी कई नहरों की सफाई के लिए अपने सीएसआर फंड को खर्च कर दिया, जिसमें एनएलसी की खदानों से पंप किया गया पानी संग्रहीत किया जा सकता था। उनकी दूरदर्शिता और समर्पण की बदौलत आज एक दर्जन से अधिक गांवों में अकालग्रस्त खेत हर साल कम से कम दो फसलें देते हैं।

बेबाक बोलने वाले बेदी कहते हैं कि वो हर दिन इसमें 18 घंटे लगाते हैं और इसका सुखद अनुभव होता है जब वो कोरोना से ठीक हुए मरीजों का परिवार द्वारा स्वागत या एक मुस्कुराते हुए शारीरिक दिव्यांग व्यक्ति का टीकाकरण करवाकर खुश होते हुए देखते हैं। और वो इस बात का उल्लेख करना कभी नहीं भूलते कि समर्पित अधिकारियों की उनकी टीम के बिना ये संभव नहीं हो पाता। जैसे चेन्नई में कोविड के मामले 18 जून को 500 से नीचे आ चुका है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad