छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को हुए जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 24 जवान शहीद हो गए। 31 से ज्यादा जवान घायल हो गए। वहीं एक सीआरपीएफ का एक 35 वर्षीय कोबरा कमांडो लापता है। उसका नाम राकेश्वर सिंह मनहास है। राकेश्वर सिंह का परिवार उनकी वापसी का इंतजार कर रहा है। कहा जा रहा है कि नक्सलियों ने उन्हें बंधक बना लिया है. राकेश्वर सिंह की पत्नी ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से उनकी सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राकेश्वर सिंह मनहास के नक्सलियों के कब्जे में होने के दावे के बाद उनकी पत्नी मीनू मनहास का बयान सामने आया है। मीनू ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि 'मेरे पति को वापस ले आइए। अगर वह सुरक्षित हैं तो उन्हें वापस ला दो जैसे अभिनंदन को पाकिस्तान से वापस लाया था।'
राकेश्वर सिंह के चचेरे भाई गोविंद सिंह का कहना है कि हमने सीआरपीएफ कंटोल रूम में बात किया तो बताया गया कि उनके बारे में भी कोई खबर नहीं है। राकेश्वर सिंह की तलाश की जा रही है और जैसे ही कोई सूचना मिलता है फौरन बताया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ सीआरपीएफ सूत्रों ने ये जानकारी दी है कि राकेश्वर सिंह नक्सलियों के कब्जे में हैं। नक्सलियों ने उन्हें बंधक बना रखा है।
मीनू मनहास ने बताया कि मेरी उनसे आखिरी बार बात शुक्रवार को हुई थी। उस समय रात के करीब 9 से 10 बीच का समय था। बातचीत में उन्होंने कहा था कि मैं ऑपरेशन ड्यूटी पर जा रहा हूं कल आकर बात करुंगा। सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस दावे को लेकर हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं है लेकिन फिर इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। सीआरपीएफ के अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों की कई इकाइयां अभी भी जंगलों में राकेश्वर सिंह की तलाश कर रही है। सर्च अभियान के दौरान जो इनपुट मिल रहे हैं उससे लगता है कि माओवादियों ने राकेश्वर सिंह क को बंधक बना लिया है।
सूचना का अभाव सेना को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर कर रहा है कि राकेश्वर सिंह नक्सलियों के कब्जे में हो सकते हैं। यह शक इसलिए भी और गहराता जा रहा है क्योंकि एक स्थानीय पत्रकार को अपुष्ट फोन कॉल आई थी जिसमें राकेश्वर सिंह के नक्सलियों के कब्जे में होने की बात कही गई था जिस शख्स ने फोन किया था उसने खुद को हिडमा बताया था। हिडमा पीजीएलए की बटालियन नंबर एक का कमांडर है जिसका नाम इस अटैक के बाद सामने आ रहा है। हालांकि इस खबर ने सुरक्षाबलों के माथे पर चिंता की लकीर ला दी है लेकिन राकेश्वर सिंह के परिजनों को थोड़ी राहत जरूर मिली है।