कोरोना महामारी रांची के लोगों को रुला रही है। नौकरी धंधे पर आफत तो है ही जांच कराना हो या टीका लगवाना हो भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। अब कोरोना से जंग हार गये तो भी चैन नहीं। मुक्ति के लिए भी लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। कोरोना पीड़ितों के अंतिम संस्कार के लिए भी अलग दिशा निर्देश है, एहतियात जरूरी है।
रविवार को रांची के मुक्तिधाम का गैस से जलने वाले शवदाह का बर्नर खराब हो गया। ऐसे में परिजनों को भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा। कोई एक दर्जन संक्रमित शव के साथ एंबुलेंस की कतार लगी रही। तीखी गर्मी में पीपीई किट पहने परिजन बेचैनी से घंटो बर्नर के ठीक होने का इंतजार करते रहे।
प्रबंधन और प्रशासन के लोगों से पूछते तो उत्तर मिलता जल्द ठीक हो जायेगा। पांच-सात घंटे की मशक्कत के बाद भी जब बर्नर ठीक नहीं हुआ तो शाम सात बजे संदेश दिया गया कि आज ठीक नहीं होगा। तब किसी तरह नगर निगम ने घाटना स्थित स्वर्णरेखा घाट पर लकड़ी और लाइट का इंतजाम किया तब अंतिम संस्कार हो सका।
सोमवार को भी दो पहर तक बर्नर ठीक नहीं हो पाया था जबकि संक्रमण से रांची में रविवार को 14 लोगों की मौत हो चुकी है। व्यवस्थागत परेशानी के कारण राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स ) परिजनों को शव नहीं दे रहा है। ऐसे लोग भी हैं जिनके परिजन की शनिवार को मौत हो गई है मगर शव नहीं दिया गया है। कोडरमा के झुमरीतिलैया के प्रभात के चाचा संतन सिन्हा की शनिवार को ही मौत हो गई थी, रांची के सोनाहातू के महेश जायसवाल के पिता की रविवार को दिन में ही मौत हो गई थी मगर सोमवार को दिन में इन्हें शव का इंतजार था। शवदाह गृह में खराबी के कारण रिम्स के ट्रॉमा सेंटर स्थित मोर्चरी में करीब 15 संक्रमित लाशें पड़ी हैं।