जिला अधिकारियों ने बताया कि जीवित नहीं रहे कुछ व्यक्तियों का नाम अभी भी नामावली में शामिल है और उनके नाम पर मजदूरी की पारिश्रमिक तैयार की गई थी। केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर देबराज सेनापति ने बताया, मनरेगा के तहत मृत व्यक्तियों के नाम पर लाभार्थियों को मजदूरी के भुगतान के बारे में प्रशासन को रिपोर्ट मिली। मामले की जांच की जा रही है। अनियमितताओं के सामने आने पर प्रशासनिक जांच का आदेश दिया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि अउल प्रखंड के सिंगरी ग्राम पंचायत के तहत बांकेश्वर गांव निवासी उपेंद्रनाथ बेहरा ने मनरेगा के तहत 30 दिन काम किया। हाल ही में उसके खाते में 3000 रूपये का भुगतान किया गया। हालांकि बेहरा का 12 अगस्त 2006 में निधन हो गया था। यह एकमात्रा मामला नहीं है। कलीनिधी राउत, दुर्गा चरण मल्लिक और पीतांबर लेंका को लेकर भी ऐसा ही मामला है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता गयाधर ढल ने आरोप लगाया कि मृत व्यक्ति के नाम पर ना केवल धोखे से रूपया उठाया गया बल्कि मृत लाभार्थियों के जरिए सूची के माध्यम से धन का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया गया है और फर्जी नामावली तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच किये जाने और इस अनियमितता में शामिल लोगों को जेल भेजे जाने की जरूरत है।