नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को केरल सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बाद अब एक और कानून की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी एनआईए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 को चुनौती देने वाली पहली राज्य सरकार है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने केरल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दिए जाने के एक दिन बाद यह याचिका दायर की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत यह याचिका दायर की है। अनुच्छेद 131 के अंतर्गत केंद्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।
राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून संविधान के अनुरूप नहीं है और यह संसद के विधायी अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि यह कानून राज्य पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच के लिए केंद्र एक जांच एजेंसी के सृजन का अधिकार देता है, जबकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य का विषय है। बता दें कि इस कानून को कांग्रेस नीत यूपीए सरकार लेकर आई थी।
अधिवक्ता सुमेर सोढी के माध्यम से दायर इस वाद में कहा गया है कि मौजूदा स्वरूप में एनआईए कानून न सिर्फ पुलिस के माध्यम से जांच कराने का (राज्य) अधिकार छीनता है बल्कि यह केंद्र को 'निरंकुश, स्वंय निर्णय लेने का मनमाना अधिकार' देता है। याचिका में कहा गया है कि इन अधिकारों के इस्तेमाल के बारे में कोई नियम नहीं है, जिसकी वजह से केन्द्र को किसी भी समय कोई कारण बताए बगैर ही इसके अधिकारों के इस्तेमाल की छूट प्रदान करता है।
राज्य सरकार का कहना है कि एनआईए कानून के प्रावधानों में तालमेल के लिए अथवा केन्द्र द्वारा राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की सहमति लेने के बारे में कोई व्यवस्था नहीं है जो निश्चित ही संविधान में प्रदत्त राज्य की सार्वभौमिकता के विचार के खिलाफ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करने वाले अपराधों और अंतरराष्ट्रीय संधियों, समझौतों, संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेन्सियों के प्रस्तावों को लागू करने के लिए बने कानूनों के दायरे में आने वाले अपराधों की जांच और कानूनी कार्यवाही के लिए बनाया गया था।