नई दिल्ली। कभी मीडिया के जरिए तमाम लोगों पर आरोप लगाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब खुद मीडिया पर अंकुश लगाने में जुट गए हैं। दिल्ली सरकार ने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अगर उन्हें सरकार या मुख्यमंत्री की छवि खराब करने वाली किसी खबर की जानकारी मिले तो तुरंत इसकी शिकायत प्रमुख सचिव (गृह) से करें। ऐसी खबरों की जांच के बाद मानहानि का केस दर्ज करने पर विचार किया जाएगा। सूचना एवं प्रचार निदेशालय की ओर से जारी इस सरकुलर के अनुसार, अगर दिल्ली सरकार के किसी अधिकारी को लगता है कि किसी प्रकाशित या प्रसारित खबर से सरकार या उनकी छवि खराब हो रही है तो इसकी शिकायत दर्ज कराएं।
दिल्ली सरकार से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इस तरह की शिकायतों की जांच प्रमुख सचिव (गृह) करेंगे और निदेशक (अभियोजन) और विधि विभाग से राय मांगेंगे कि क्या भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499/500 के तहत मानहानि कार्रवाई की जा सकती है। इस तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि केजरीवाल सरकार न्यूज चैनलों पर नजर रखने के लिए अलग से कर्मचारियों की नियुक्ति करने जा रही है। गौरतलब हे कि अरविंद केजरीवाल पिछले कुछ दिनों से लगातार मीडिया पर 'सुपारी जर्नलिज्म' के आरोप लगाए हैं। हालांकि, खुद अरविंद केजरीवाल कई मामलों में मानहानि के आरोपों का सामना कर रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों के साथ केजरीवाल भी मानहानि से जुड़ी आईपीसी की धारा 499 व 500 का विरोध कर चुके हैं।
इस विवादित सरकुलर के बाद विपक्षी दलों ने अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। मीडिया पर अंकुश लगाने की इस कोशिश को भाजपा की दिल्ली इकाई ने लोकतंत्र विरोधी और अराजक करार दिया है। भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा है कि केजरीवाल अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं लेकिन हर किसी का गला घोंटने पर आमादा हैं। यह ढोंग की पराकाष्ठा है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दिल्ली सरकार के इस कदम को बेतुका बताते हुए कहा है कि केजरीवाल चुनाव से पहले जो बातें किया करते थे, अब उसके ठीक उल्ट काम कर रहे हैं। सत्ता में आते ही सचिवालय में मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। माकन के ट्वीट किया है कि दिल्ली सरकार की ओर से जारी सरकुलर मीडिया पर सेंसरशिप नहीं तो क्या?