लोकसभा से गुरुवार को दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक पास हो गया। वोटिंग के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया। इस दौरान जब स्पीकर ओम बिरला बोल रहे थे तो आप सांसद सुशील कुमार रिंकू ने सत्ता पक्ष के सांसदों पर कागज फाड़कर फेंका जिस पर उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। सरकार की तरफ से पक्ष केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रखा तो उनका कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके सहित कई विपक्षी दलों ने विरोध किया। बिल पास होने के बाद लोकसभा को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली को लेकर किसी भी मुद्दे पर सरकार को कानून बनाने का अधिकाऱ है।'' उन्होंने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ. बी.आर. अंबेडकर भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के विरोध में थे। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन को दिल्ली की नहीं सिर्फ गठबंधन की चिंता है। विपक्ष विधेयक का विरोध राजनीति के लिए कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ''आज लोक सभा में अमित शाह जी को दिल्ली वालों के अधिकार छीनने वाले बिल पर बोलते सुना। बिल का समर्थन करने के लिये उनके पास एक भी वाजिब तर्क नहीं है। बस इधर उधर की फ़ालतू बातें कर रहे थे। वो भी जानते हैं वो गलत कर रहे हैं। ये बिल दिल्ली के लोगों को ग़ुलाम बनाने वाला है। उन्हें बेबस और लाचार बनाने वाला है। विपक्षी गठबंधन ऐसा कभी नहीं होने देगा।''
इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है। इसको पलटते हुए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था।