उत्तराखंड का अंकिता भंडारी हत्याकांड देशभर में सुर्खियों में है। नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने ऐसा करके मामले की एसआईटी जांच पर भरोसा जताया है।
पौड़ी जनपद के एक रिसोर्ट में काम करने वाली अंकिता की हत्या का मामला देशभर में इस वजह से भी सुर्खियों में हैं, क्योंकि एक आरोपी के पिता आरएएस के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसकी जांच के के लिए डीआईजी स्तर की महिला आईपीएस रेणुका की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था। इस मामले में तीन आरोपी पिछले दो माह से जेल में हैं।
पीड़िता के परिजनों की ओर से इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए एक याचिका नैनीताल हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि सबूत मिटाने के लिए रिसोर्ट में तोड़फोड़ की गई है। उन्हें एसआईटी की जांच पर भरोसा नहीं नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने एसआईटी से जवाब मांगा था।
इस पर सरकार की ओर से एसआईटी ने हाईकोर्ट को बताया कि रिसोर्ट में तोड़फोड़ से पहले तमाम सबूतों की वीडियोग्राफी करा ली गई है। आरोपियों की नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट से लिए भी अदालत से मंजूरी मांगी गई है। आरोपियों के खिलाफ 500 सौ पेज की चार्जशीट अदालत में दाखिल की जा चुकी है।
इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पीड़िता के परिजनों की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर कर दिया। हाईकोर्ट ने महिला डीआईजी की अध्यक्षता वाली एसआईटी की जांच को सही दिशा में मानते हुए ही यह याचिका खारिज की है।
यहां बता दें कि इस हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सोशल मीडिया में कई अभियान चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस मामले में किसी वीआईपी का नाम भी चर्चा में रहा है। उसे बचाने के लिए ही जांच सीबीआई को नहीं दी जा रही है।