एक ओर काेरोना के मौर्चे पर लड़ रही पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार पार्टी के भीतर पर एक बड़ी लड़ाई का सामना कर रही है। सांसद प्रताप बाजवा,रवनीत बिट्टू,केबिनेट मंत्री सुखजिंदर रंधावा और चरणजीत चन्नी, विधायक नवजोत सिद्धू और परगट सिंह के बाद केबिनेट मंत्री चरणजीत चन्नी की अगुवाई में कांग्रेस के एक दर्जन दलित विधायकों ने कैप्टन के खिलाफ खुला मौर्चा खोल दिया है। ये विधाायक चाहते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन मंत्रीमंडल में फेरबदल कर एक और दलित विधायक को केबिनेट में अहम विभाग दें। हालांकि मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के घर पर हुई विधायकों की बैठक में दलित और ओबीसी वर्ग के मुद्दाें को भी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले समीक्षा करने को लेकर बताया गया। लेकिन इस बैठक में उठे असल मसले ने कैप्टन की चिंता और बढ़ा दी है।
अमृतसर से विधायक राज कुमार वेरका मुताबिक दलितों और ओबीसी वर्ग के मुद्दों को लेकर बैठक हुई लेकिन वेरका ने कैबिनेट में किसी दलित या ओबीसी वर्ग के विधायक को शामिल कर अहम विभाग दिए दिए जाने के सवाल का जवाब नहीं दिया। इधर नाराज चल रहे मंत्री और विधायकों को मनाने के लिए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सक्रिय हो गए हैं। इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री ने अपने राजनीतिक सलाहकार भरत इंदर सिंह चहल को जिम्मेदारी सौंपी है। चहल नाराज मंत्रियों और विधायकों से संपर्क बनाए हुए हैं वह उनके घरों में जाकर उनसे मिल भी रहे हैं।
चन्नी के घर पर हुई बैठक बारे वेरका ने कहा कि दलित व ओबीसी वर्ग के लिए 2017 में किए गए चुनावी वादों में से 80 फीसदी से ज्यादा सरकार पूरे कर चुकी है। इधर प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने दलित विधायकों की बैठक बारे कहा कि घर की बातें घर में ही सुलट लेना ठीक रहेगा चाहे व मंत्री हों या विधायक।