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हाईकोर्ट की रोक और सरकार के आश्वासन के बावजूद दिल्ली में पेड़ काटने का आरोप

दिल्ली हाईकोर्ट की रोक और सरकार के आश्वासन के बावजूद दक्षिणी दिल्ली में पेड़ काटे जा रहे हैं।...
हाईकोर्ट की रोक और सरकार के आश्वासन के बावजूद दिल्ली में पेड़ काटने का आरोप

दिल्ली हाईकोर्ट की रोक और सरकार के आश्वासन के बावजूद दक्षिणी दिल्ली में पेड़ काटे जा रहे हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता विमलेन्दु झा ने आरोप लगाया है कि सरोजिनी नगर इलाके में पेड़ काटे गए हैं। उन्होंने बताया कि इसे लेकर मैंने एक केस भी दर्ज करवाया है। साथ ही उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे विरोध दर्ज कराने के लिए मौके पर पहुंचें।

इससे पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि दक्षिणी दिल्ली की सात कालोनियों की पुनर्विकास योजना में काटे गए पेड़ों की एवज में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने स्थानीय की बजाय ज्यादातर सजावटी पेड़ लगाए हैं।

वन विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए झा ने कहा कि किदवई नगर में मंत्रालय द्वारा 3895 पेड़ लगाने के दावे के उलट सिर्फ 95 पेड़ों को छोड़ कर बाकी सभी सजावटी पेड़ लगाए गए हैं। उन्होंने आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी को ट्विटर के माध्यम से इस मामले से अवगत कराते हुए कहा कि वन विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि मंत्रालय को किदवई नगर परियोजना में पेड़ काटने की एवज में आठ हजार पेड़ लगाने थे। उन्होंने वन विभाग के दस्तावेज संलग्न करते हुए बताया कि इनमें से 3895 पेड़ लगाने का मंत्रालय ने दावा किया था, लेकिन इनमें 95 पेड़ों को छोड़ कर बाकी सभी सजावटी पेड़ लगाए गए हैं।

पुरी ने इसके जवाब में कहा, ‘हम इसकी पड़ताल कर संबद्ध विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेंगे।’ उन्होंने कहा कि परियोजना को अंजाम दे रही केन्द्रीय एजेंसी राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) के मुख्य प्रबंध निदेशक इन आंकड़ों की जांच कर रहे हैं।

आवासीय परियोजना के लिए दक्षिणी दिल्ली के सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, मोहम्मदपुर और कस्तूरबा नगर में करीब 17,000 पेड़ों को काटे जाने को लेकर विवाद चल रहा है। आम आदमी पार्टी ने इसके विरोध में 'चिपको आंदोलन' भी चलाया था। भारी विरोध और अदालत में दायर याचिका के बाद हाईकोर्ट ने इन्हें काटने पर फिलहाल रोक लगा दी है। इस मामले पर 4 जुलाई को सुनवाई होनी है। 

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