झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन-चार माह के भीतर फायर सेफ्टी ऑडिट कराकर अदालत में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। धनबाद के आशीर्वाद टावर अग्निकांड पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार को सुनवाई की और गुरुवार को राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। 31 जनवरी को धनबाद के बैंक मोड़ थाना क्षेत्र के आशीर्वाद टावर में भीषण आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई और दो दर्जन लोग घायल हो गये थे जिनमें चार की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इसके तीन दिन पहले 28 जनवरी को धनबाद के ही टेलीफोन एक्सचेंज रोड में तड़के दो बजे हाजरा हॉस्पिटल में आग लगने से डॉक्टर हाजरा दंपती सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी।
गुरुवार को हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमर सिंह एवं न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिय कि तीन-चार माह के अंदर प्रदेश में फायर सेफ्टी ऑडिट कराकर अदालत में रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने अगलगी के हादसे पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
अदालत ने नगर विकास विभाग से सवाल किया है कि प्रदेश के अपार्टमेंट एवं भवनों में फायर सेफ्टी के लिए क्या गाइडलाइन है। जो नक्शे पास हो रहे हैं उनमें बिल्डिंग बाइलॉज के तहत फायर सेफ्टी के रूल का पालन किया जा रहा है या नहीं। अदालत में इससे संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी। बुधवार को खंड पीठ ने महाविधवक्ता को भी सुनवाई के समय हाजिर रहने को कहा था।
पीठ ने महाविधवक्ता से पूछा कि घटना कैसे घटी तो महाविधवक्ता ने बताया कि दिये से आग लगी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि धनबाद डीसी ने इस मामले में दो कमेटियां गठित की हैं। एक कमेटी वहां आग लगने के कारणों की जांच करेगी। कमेटी यह भी देखेगी कि फायर सेफ्टी रूल एंड रेगुलेशन का वहां पालन किया गया है या नहीं। दूसरी कमेटी आग से भवन को हुए नुकसान का आकलन करेगा। यह भी बताया कि राज्य के सभी जिलों के डीसी व एसपी को फायर सेफ्टी से जुड़े मानकों और उनके अनुपालन की समीक्षा का निर्देश दिया गया है।
बता दें कि आशीर्वाद टावर हादसे पर संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने भी शोक जाहिर किया था। साथ ही प्रधानमंत्री ने मारे गये लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये अनुदान और घायलों को पचास हजार रुपये मुआवजा राशि देने का एलान किया था। वहीं मुख्यमंत्री ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये अनुदान और घायलों का सरकारी खर्च पर इलाज की घोषणा की।