आरटीआई से एक गजब की जानकारी मिली है। इसमें राज्य आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि कोविट-19 को लेकर केंद्र सरकार से अंग्रेजी में मिली गाइड को कॉपी पेस्ट करके ही जारी किया जा रहा है। राजभाषा हिंदी में अनुवाद करने पर गल्तियां होने की समस्या आ सकती है। एक और कुतर्क दिया गया है कि राजभाषा में अनुवाद करने में देरी लग सकती है। जाहिर है कि आपदा प्रबंधन विभाग का अंग्रेजी में हाथ तंग है और इसी वजह से राजभाषा हिंदी की उपेक्षा की जा रही है।
कोरोना काल शुरू होने के बाद से ही केंद्र सरकार की ओर से तमाम गाइड लाइन जारी हो रही हैं। ये सभी अंग्रेजी में ही हैं। राज्य सरकार भी इसी के आधार पर आदेश जारी करती है। देखने में आ रहा है कि मुख्य सचिव की ओर से जारी होने वाले आदेश (गाइड लाइन) में शुरुआती और अंतिम पैरा राजभाषा हिंदी में होता है बाकी सब अंग्रेजी में होता है। जाहिर है कि राजभाषा हिंदी की किसी को परवाह नहीं है।
काशीपुर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता नदीमुद्दीन ने इस बारे में मुख्य सचिव से सूचना मांगी थी। इस बारे में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से दिया गया जवाब चौंकाने वाला है। विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने लिखा है कि केंद्र सरकार से सभी गाइड लाइन अंग्रेजी में जारी होती हैं। इनके राजभाषा में अनुवाद में गल्तियां हो सकती हैं। साथ ही देरी भी हो सकती है। लिहाजा, केंद्र की गाइड लाइन को ही कॉपी-पेस्ट करके राज्य सरकार आदेश जारी करती है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने में यदि सरकारी अफसर गल्ती कर सकते हैं तो अंग्रेजी न जानने वाले आम नागरिक उस गाइड लाइन का पालन न करने पर दोषी कैसे हो सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता नदीम उद्दीन कहते हैं कि आपदा प्रबंधन विभाग की यह कार्यशैली सीधे तौर पर राजभाषा का अपमान है। अहम बात यह भी है कॉपी-पेस्ट वाली गाइड लाइन पहले मुख्य सचिव और फिर उसी अंदाज में जिलाधिकारियों को हस्ताक्षरों से जारी हो रही हैं। जब आपदा प्रबंधन विभाग का हाथ अंग्रेजी में इतना तंग है तो सूचना एवं लोक संपर्क विभाग गाइड लाइन का कैसे अनुवाद कर रहा होगा, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है।