अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के कुछ ‘अशांत’ जिलों में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 (अफस्पा) को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया है। पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने गृह मंत्रालय के हवाले से इस बात की जानकारी दी।
केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के 12 जिलों और दोनों राज्यों के पांच अन्य जिलों के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत ‘‘अशांत क्षेत्र’’ की अवधि छह महीने के लिए और बढ़ा दी है।
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, अफस्पा की अवधि को एक अक्टूबर से नौ जिलों - दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिर, नोकलाक, फेक, पेरेन और जुन्हेबोटो - और नगालैंड के चार अन्य जिलों कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग और वोखा के 16 पुलिस थानों में छह महीने के लिए बढ़ाया जाएगा।
एक अलग अधिसूचना में मंत्रालय ने कहा कि अफस्पा के तहत ‘‘अशांत क्षेत्र’’ की अवधि शनिवार से तिरप, चांगलांग, लोंगडिंग जिलों और अरुणाचल प्रदेश के नामसाई और महादेवपुर पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में और छह महीने के लिए बढ़ा दी है। नगालैंड में कुल 16 जिले हैं, अरुणाचल प्रदेश में 26 जिले हैं।
जानें क्या है अफस्पा कानून
‘अफस्पा’ यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया गया, जो एक फौजी कानून है, जिसे ‘डिस्टर्ब’ क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षाबलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है। हालांकि, इसका शुरू से विरोध भी होता रहा है। जहां अफस्पा लागू होता है, वहां सशस्त्र बलों के अधिकारी को जबरदस्त शक्तियां दी जाती हैं। इसमें किसी भी असंदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है। गिरफ्तारी के दौरान उनके द्वारा किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है। बिना वारंट किसी के घर में अंदर जाकर उसकी तलाशी ली जा सकती है, इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल किया जा सकता है। वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है।