द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) का अध्यक्ष बनने के बाद एमके स्टालिन ने अपना पहला भाषण दिया। भाषण में उन्होेंने अपना राजनीतिक रुख स्पष्ट किया और मोदी सरकार पर निशाना साधा। स्टालिन ने मंगलवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सारी संस्थाओं को नष्ट कर दिया है और हमें इनकों सबक सिखाना होगा।
डीएमके की आम बैठक में ताजपोशी के बाद स्टालिन ने कहा, 'आज देश की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। सांप्रदायिक ताकतें शिक्षा, साहित्य, धर्म, कला सभी चीजों पर हमला कर रही हैं। केंद्र सरकार राज्यपालों के चुनाव से लेकर न्यायपालिका तक को अस्थिर करना चाहती है।' डीएमके अध्यक्ष बनने के बाद स्टालिन मरीना बीच पर एम करुणानिधि के स्मारक पर भी गए और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
स्टालिन का भाषण सुनकर सभी लोग 'थलापति' कहकर प्रशंसा करने लगे। स्टालिन द्वारा खाली किए गए कोषाध्यक्ष के पद पर डीएमके के मुख्य सचिव दुरई मुरुगन को चुना गया है।
इस मौके पर अपने पिता को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे उन्हें पिता कहने से ज्यादा नेता कहने पर गर्व होता है।' राहुल गांधी ने भी इसे नए अध्याय की शुरुआत कहकर इसकी तारीफ की और उनकी उपलब्धियों के लिए स्टालिन को शुभकामनाएं दीं।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'डीएमके का अध्यक्ष चुने जाने पर स्टालिन को शुभकामनाएं। इस नई राजनीतिक यात्रा में मैं उनकी सफलता और प्रसन्नता की कामना करता हूं।‘
बड़े भाई एमके अलागिरी कि विरोध के बावजूद एमके स्टालिन के अध्यक्ष चुने जाने पर पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। अब स्टालिन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सबको साथ लेकर चलने और चुनाव जीतने की है।
जहां करुणानिधि का कद एक लंबी राजनीतिक यात्रा के बाद इतना ऊंचा हुआ था वहीं स्टालिन की राजनीतिक यात्रा कुछ अलग है। अपने पिता के लिए उन्होंने 14 साल की ही उम्र में राजनीति सहभ्ाागिता शुरू कर दी थ्ाी, लेकिन स्टालिन के लिए डीएमके में जगह करुणानिधि ने ही बनाई थी।
#Chennai: DMK President MK Stalin and other party leaders pay tribute to M. Karunanidhi at his memorial on Marina beach. pic.twitter.com/tiR1iEYg5W
— ANI (@ANI) August 28, 2018