पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के एन मौके पर संबंधों के तार को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की किरकिरी कराने वाले कोयला माफिया अनूप मांझी उर्फ लाला और उसके सहयोगी अनिल गोयल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लाउंड्रिंग के मामले में रांची में प्राथमिकी दर्ज की है। ईडी ने प्राथमिकी में कहा है कि पश्चिम बंगाल के लाला और धनबाद के अनिल गोयल द्वारा कोयले से होने वाली अवैध कमाई को जायज ठहराने के लिए मनी लाउंड्रिंग का सहारा लिया जा रहा है। सीबीआइ लाला और उसके कनेक्शन वालों के खिलाफ दबिश बनाये हुए है ऐसे में ईडी के नए केस से लाला और उनके कुनबे की परेशानी बढ़ सकती है। ईडी ने 2007 से 2011 के बीच धनबाद और बोकारो में कोयला के अवैध कारोबार के सिलसिले में दर्ज एक दर्जन प्राथमिकियों को आधार बनाया है। ये मामले 2008 से 2011 के बीच चास, चंदनकियारी, नावाडीह, जरीडीह और दुगदा थाने में दर्ज किये गये थे।
बीते माह धनबाद में नोटों के पास के भंडाफोड़ के बाद सीबीआइ और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय हुईं और लाला के हजारों करोड़ के साम्राज्य का खुलासा हुआ। सीबीआइ और ईडी ने मामला दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है। ममता बनर्जी के भतीजा और टीएमसी के सेकेंड मैन के रूप में चर्चित सांसद अभिषेक बनर्जी उनकी पत्नी, साली के लाला से कनेक्शन सामने आये और सीबीआइ ने उनसे पूछताछ भी की। अनिल गोयल और अनुप मांझी उर्फ लाला लाला के खिलाफ 2011 में झारखण्ड के बोकारो जिला के नावाडीज में फर्जी दस्तावेज के आधार पर कोयले के अवैध कारोकार को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। लाल के खिलाफ झारखण्ड में संभवत: यह पहला मामला था। उस समय पुलिस को जानकारी मिली थी कि वन क्षेत्र से अवैध खनन कर निकाला गया दो ट्रक कोयला बेरमो की ओर ले जाया जा रहा है। पुलिस ने जांच के लिए ट्रक को रोका तो कोयला संबंधी कागजात फर्जी पाये गये। जांच में सामने आया कि अनिल गोयल फर्जी दस्तावेज के आधार पर कोयले का कारोबार कर रहा है और फर्जी कागजात बनाने में लाला सहयोग करता था।
क्या वैक्सीन के प्रति लोगों स्वीकारोक्ति बढ़ी है। अगर टीकाकरण से कोई प्रतिकूल असर पड़ता है तो उसको हल करने के लिए क्या तैयारी है?
हर रोज टीका लगवाने वालों की संख्या बढ़ रही है। जो खुद ही लोगों के वैक्सीन के प्रति भरोसे और स्वीकारोक्ति को दिखाता है। टीकाकरण के दौरान किसी प्रतिकूल परिस्थिति की निगरानी के लिए एक बेहतर एईएफआई निगरानी तंत्र है। कोविड 19 टीकाकरण के तहत भी इसी प्रक्रिया को अपनाया गया है। जो कि सभी एईएफआई के विश्लेषण में मदद करता है। एईएफआई समिति किसी भी तरह के मृत्यु का आंकलन करती है। जो यह पता लगती है कि मौत का कारण टीका, या टीका लगाने की पर पक्रिया है या फिर कोई अन्य वजह है। इसके अलावा प्रत्येक टीकाकरण केंद्र पर एनाफिलएक्सिस किट भी उपलब्ध कराई गयी है जो की तुरंत वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति में किसी तरह के साइड इफेक्ट की निगरानी करती है। और यदि टीका लगा लगाने के 30 मिनट के अंदर कोई प्रतिकूल असर होता है तो एईएफआई प्रबंधन केंद्र को इसकी जानकारी भी दे दी जाती है। जिससे जरूरी कदम भी समय से उठा लिए जाते हैं। इसके अलावा इस तरह के एईएफआई मामलों पर जरूरी उपचार पूरी तरह से मुफ्त किया जाता है।