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रोड सेफ्टी पर जरूर मंथन करें इंजीनियर, लकीर का फकीर ना बनें तकनीकी विशेषज्ञ: योगी

लखनऊ। भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी 2022) के 81वें अधिवेशन का शुभारंभ शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान...
रोड सेफ्टी पर जरूर मंथन करें इंजीनियर, लकीर का फकीर ना बनें तकनीकी विशेषज्ञ: योगी

लखनऊ। भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी 2022) के 81वें अधिवेशन का शुभारंभ शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुआ। 8 से 11 अक्टूबर तक आयोजित हो रहे इस अधिवेशन में सड़क निर्माण से जुड़ीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के 2500 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया, जिसमें केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उत्तर प्रदेश पांचवीं बार आईआरसी की मेजबानी कर रहा है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में विगत साढ़े पांच साल में रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण बदलावों की चर्चा करते हुए कहा कि आज आप जहां से भी यूपी में प्रवेश करेंगे आपको फोर लेन की सड़कें मिलेंगी। 

प्रधानमंत्री की प्रेरणा से इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है यूपी:

उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा आयोजित भारतीय सड़क कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के अमृत काल में उत्तर प्रदेश को 81वें अधिवेशन के लिए चुना गया है, इसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नितिन गडकरी ने जिस मजबूती और आत्मविश्वास के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर फोकस किया वो आज एक मॉडल के रूप में देखा जाता है। विगत साढ़े आठ साल में देश रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जिस प्रकार से आगे बढ़ा हैं, उसी से प्रेरणा लेकर हमने यूपी में काम शुरू किया। हमने ये महसूस किया कि 25 करोड़ जनता की आय में कई गुना वृद्धि करनी है तो हमें इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना ही होगा। उसी आधार पर हमने अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया। इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हमने इंटरस्टेट कनेक्टिविटी पर सबसे ज्यादा फोकस किया।

इकॉनमी की बैक बोन है इन्फ्रास्ट्रक्चर:

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि आज औद्योगिक निवेश के लिए ये आवश्यक है कि हम न केवल बेहतर कानून व्यवस्था प्रदान करें, बल्कि हमारी प्रशासनिक मशीनरी समय पर निर्णय लेते हुए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की गतिविधि को भी आगे बढाए। इसके साथ ही हम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करते हुए वर्ल्ड क्लास के एक्सप्रेस वे के जाल बिछाने का भी कार्य करें, क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर किसी भी इकॉनमी की बैक बोन होती है। अर्थव्यवस्था को अगर बूस्टअप करना है तो अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर उसकी पहली शर्त होती है।

हम कोरोना के आगे ना रुके ना झुके:

मुझे ये बताने में प्रसन्नता हो रही है कि सरकार ने कोरोना महामारी के काल में भी अपने दो पिछड़े क्षेत्र पूर्वांचल और बुंदेलखंड को वर्ल्डक्लास एक्सप्रेस वे के साथ जोड़ने का कार्य किया है। हम कोरोना के सामने रुके नहीं और झुके भी नहीं। इसके अलावा दिल्ली मेरठ 12 लेन एक्सप्रेस वे को ना सिर्फ बनाया बल्कि राष्ट्र को समर्पित भी किया। इसके साथ ही आज यूपी एफडीआर तकनीक को सबसे सफलतापूर्वक लागू करने वाला राज्य है। हमारी ग्रामीण सड़कें इसी तकनीक से बन रही हैं। इससे हम एक तिहाई कम लागत में ज्यादा टिकाऊ सड़कें बना रहे हैं।

लकीर के फकीर ना बनें हम:

मुख्यमंत्री ने अधिवेशन में आये रोड तकनीकी विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा समाज भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने वाला है, मगर तकनीक की बात आते ही अक्सर हम दूसरे देशों की ओर देखने लगते हैं। हमें इसपर मंथन करना चाहिए। हमारे तकनीकी विशेषज्ञ कभी कभी लकीर के फकीर बने रहते हैं। हमें इससे उभर कर नये सिरे से सोचने और नयी परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढालने के लिए तैयार होना होगा।

रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में इनोवेटिव आइडिया के लिए उत्तर प्रदेश देगा मेडल:

मुख्यमंत्री ने इंडियन रोड कांग्रेस के अधिवेशन के मंच से ही रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में इनोवेटिव आइडिया के लिए उत्तर प्रदेश की ओर से प्रतिवर्ष मेडल देने का एलान किया। उन्होंने कहा कि आईआरसी हर साल अपने अधिवेशन के माध्यम से रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में इनोवेटिव आईडिया के लिए अपने कुछ मेडल जारी करता है। मैं यहां पर यूपी मेडल फॉर इनोवेटिव टेक्नॉलॉजी इन रोड टेक्नोलॉजी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने की घोषणा करता हूं। मैं आईआरसी से कहूंगा कि वो यूपी सरकार की ओर से प्रतिवर्ष इसे जारी करें, इसके लिए जो भी खर्च आएगा वो यूपी सरकार वहन करेगी।

रोड सेफ्टी पर जरूर मंथन करें इंजीनियर:

मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि गलत इंजीनियरिंग के कारण हर साल बहुत से लोगों की जान चली जाती है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान यूपी के अंदर लगभग 23,600 मौतें हुई हैं, लेकिन अगर सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो हर साल 20 हजार मौतें हो रही हैं। ये मौतें हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज हैं। मैं चाहता हूं कि अगले तीन दिन तक चलने वाले इंडियन रोड कांग्रेस के इस अधिवेशन में आप सभी तकनीकी विशेषज्ञ इस बात पर मंथन करें कि कैसे टेक्नोलॉजी का उपयोग करके हम रोड एक्सिडेंट को कम कर सकते हैं।

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