मध्य प्रदेश की राजनीतिक लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। फ्लोर टेस्ट कैंसल होने के खिलाफ भाजपा के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि 48 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
मप्र के पूर्व महाधिवक्ता पुरुषिंद्र कौरव ने कहा, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश देने की मांग की।
वकील ने कहा कि हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के खिलाफ याचिका दायर की गई है और आरोप लगाया है कि 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट आयोजित करने के लिए मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार में बहुमत की कमी है।
दस दिन के लिए विधानसभा स्थगित
दरअसल, मध्य प्रदेश में बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच अब नया मोड़ आ गया है। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया और उनके अभिभाषण के तुरंत बाद विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में विधायकों से संविधान के मर्यादा के अनुरूप दायित्व निभाने की नसीहत दी थी, जिसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दस दिन तक स्थगित करने का फैसला लिया।
कमलनाथ ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राज्यपाल लालजी टंडन को चिट्ठी लिखी है। इसमें सीएम ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं बनता है। सीएम कमलनाथ ने लिखा, 'फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों। ऐसा न होने पर फ्लोर टेस्ट कराना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।' कमलनाथ ने अपनी चिट्टी में आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है।
अभिभाषण में राज्यपाल ने क्या कहा था
राज्यपाल लालजी टंडन ने अपने अभिभाषण में कहा कि सभी सदस्यों को शुभकामना के साथ सलाह देना चाहता हूं कि प्रदेश की जो स्थिति है, उसमें अपना दायित्व शांतिपूर्ण तरीके से निभाएं। लालजी टंडन ने जैसे ही अपनी बात पूरी की तो विधानसभा में हंगामा हुआ। तबीयत खराब होने की वजह से राज्यपाल ने अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ा, वह सिर्फ अभिभाषण की पहली और आखिरी लाइन ही पढ़ पाए।