सरकार बनने के 13 महीने के इंतजार के बाद शनिवार को पंजाब में कांग्रेस की कैप्टन अमरिदंर सिंह मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। मंत्रिमंडल विस्तार में नौ नए मंत्री शामिल किए गए हैं जबकि दो महिला राज्य मंत्रियों को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने 35 मिनट में सभी 11 मंत्रियों को शपथ दिलाई। सभी ने पंजाबी भाषा में शपथ ली। सभी 18 मंत्रियों का दर्जा कैबिनेट का होगा कोई भी राज्य मंत्री नहीं होगा।
दूसरी ओर, मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने के विरोध में पंजाब राजभवन के बाहर एक समुदाय के लोगों ने सीएम कैप्टन अमरिदंर सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एससी वर्ग से किसी विधायक को मंत्री न बनाने को लेकर वाल्मीकि भाईचारों में भारी रोष देखा गया। वाल्मीकि भाईचारे की ओर से जतिंदर मट्टू का नेतृत्व में लोगों ने जमकर नारेबाजी की। इन्हें हटाने के लिए चंडीगढ़ पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित कैबिनेट के कुल 18 मंत्रियों में से 11 मंत्री मालवा क्षेत्र से, छह मंत्री माझा जबकि दोआबा से सिर्फ एक मंत्री बना है। मंत्रिमंडल में होशियारपुर से विधायक सुंदर शाम अरोड़ा दोआबा से सरकार का चेहरा हैं। पंजाब की कुल 117 विधानसभा सीटों में से 69 सीटें मालवा से आती हैं, जबकि माझा में 26 विधानसभा सीटें हैं और दोआबा में यह संख्या 22 है, लेकिन विधानसभा सीटों के लिहाज से दोआबा को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
इधर कैबिनेट विस्तार के साथ कांग्रेस विधायकों में बगावत तेज हो गई है। 7 विधायकों ने नाराजगी जताई है। मंत्री पद से वंचित दो और कांग्रेसी विधायकों सुरजीत सिंह धीमान ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद से और नत्थु राम ने सचिव पद से इस्तीफा दिया है। इससे पहले विधायक संगत सिंह गिलजियां भी आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सदस्यता और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। मंत्री पद से वंचित रहे विधायक डा.राजकुमार वेरका, नवतेज चीमा और गुरकिरत कोटली ने भी नाराजगी जताई है। विधायक नत्थू राम का कहना है कि पंजाब में एससी वर्ग की संख्या 32 फीसदी है और विधानसभा में एससी विधायक 22 हैं जबकि कैप्टन केबिनेट में सिर्फ एससी वर्ग के तीन मंत्री हैं।
ओपी सोनी (अमृतसर सेंट्रल) ने ली सबसे पहले शपथ:
कैबिनेट में शामिल किए गए अमृतसर सेंट्रल विधानसभा सीट से विधायक ओपी सोनी ने सबसे पहले शपथ ली। वह कांग्रेस का अजेय चेहरा हैं। 20 साल से विधायक रहे सोनी ने 1997 और 2002 का चुनाव सोनी ने बतौर आजाद उम्मीदवार जीता था तथा उसके बाद 2007 के चुनाव में उन्होंने राजिंदर मोहन छीना को 12,103 मतों से हराया था जबकि 2012 के चुनाव में तरुण चुघ को 12,797 और 2017 के चुनाव में एक बार फिर तरुण चुघ को ही 21,116 मतों से मात दी। ओपी सोनी कांग्रेस विधायक मंडल के इकलौते ऐसे नेता हैं जो पिछले पांच चुनाव से लगातार जीत रहे हैं लेकिन मार्च 2017 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्हें वरिष्ठता के बावजूद मंत्री पद नहीं मिल पाया था।
जाखड़ के विरोध के बावजूद कैप्टन के करीबी सोढी बने मंत्री
सोनी के बाद दूसरे नंबर पर शपथ लेने वाले गुरुहरसहाय के विधायक राणा गुरमीत सोढ़ी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा विरोध के बावजूद मंत्री बनने में सफल हुए। सीएम ने उन्हे मंत्री बनाने को ठान लिया था। सोढी भी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। उन्होंने 2002, 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में लगातार 4 जीत हासिल की हैं। 2002 के चुनाव में उन्होंने परमजीत सिंह को 5431 मतों के अंतर से हराया जबकि 2007 के चुनाव में एक बार फिर परमजीत सिंह संधू को 18,570 मतों के अंतर से मात दी जबकि 2012 के चुनाव में उन्होंने अकाली दल के उम्मीदवार बलदेव सिंह को 3249 मतों से पराजित किया। 2017 के चुनाव में एक बार फिर उन्होंने बलदेव सिंह को 5796 मतों के अंतर से हराया। राणा गुरमीत सोढी को 62,787 मत हासिल हुए जबकि उनके विरोधी वरदेव सिंह मान 56,991 मत ही हासिल कर सके।
अरुणा व रजिया बनी कैबिनेट मंत्री
मार्च 2017 में सरकार बनने के वक्त राज्य मंत्री बनी दोनों महिला मंत्रियों को कैबिनेट रैंक का प्रमोशन दिया गया है। दीनानगर से विधायक उच्च शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी और मालेरकोटला से विधायक लोक निर्माण मंत्री रजिया सुल्ताना की प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई। सालभर में दोनों का कार्यप्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है पर तय हुआ कि मंत्रिमंडल में कोई भी राज्य मंत्री नहीं रहेगा इसलिए इनका कैबिनेट मंत्री बनना स्वाभाविक था।
दोबार चुनाव हारे सुखजिदंर सिंह रंधावा की कैप्टन से नजदीकी काम आई
डेरा बाबा नानक विधानसभा सीट से विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा 1997 और 2007 के चुनाव में दो बार हार का मुंह देख चुके हैं, लेकिन इसके बाद अगले दो चुनाव में वह लगातार चुने गए और आखिर अब लंबे इंतजार के बाद मंत्री पद नसीब हुआ है। उन्होंने 2012 और 2017 के चुनाव में अकाली दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह को शिकस्त दी। 2012 के चुनाव में उन्होंने लंगाह को 2940 वोटों से शिकस्त दी, जबकि 2017 के चुनाव में भी वह 1194 मतों के अंतर से जीते। लेकिन इससे पहले वह 2007 के चुनाव में निर्मल सिंह काहलों के हाथों 5828 मतों के अंतर से हार गए थे। इससे पहले 2002 के चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी, और 1997 में वह 5536 मतों से हारे थे। उन्हें दोनों बार निर्मल सिंह काहलों ने ही मात दी थी। कैप्टन से नजदीकी रंधावा के लिए काम कर गई।
2012 में चुनाव हारे, कांगड़ की मुराद हुई पूरी
कैबिनेट में शामिल किए गए रामपुराफूल से विधायक गुरप्रीत सिंह कांगड़ को भी वरिष्ठता का इनाम मिला है। हालांकि कांगड़ 2012 का चुनाव सिकंदर सिंह मलूका के हाथों 5136 मतों के अंतर से हार गए थे लेकिन 2017 के चुनाव में उन्होंने मलूका को 10,385 मतों के अंतर से हरा दिया। इससे पहले 2007 के चुनाव में भी कांगड़ ने सिकंदर सिंह मलूका को 2259 मतों के अंतर से हराया था। कांगड़ को अकाली दल के हैवीवेट मंत्री मलूका को हराने का भी फायदा हुआ है और कांग्रेस हाईकमान ने उन पर विश्वास जताकर उन्हें मंत्री पद दिया है।
तीन चुनाव जीते सुख सरकारिया को मंत्री पद का सुख
2007, 2012 और 2017 के चुनाव में उन्होंने लगातार तीन जीत दर्ज करने वाले राजासांसी के विधायक सुखबिंदर सिंह सरकारिया को आखिर लंबे इंतजार के बाद सत्ता में हिस्सेदारी मिल रही है। लेकिन उनका यह सफर इतना भी आसान नहीं रहा। वह 1997 और 2002 के चुनाव में हार का मुंह देख चुके हैं, लेकिन लगातार दो हार के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। सुखसरकारिया 1997 में पहला चुनाव निर्मल सिंह काहलों के हाथों 5536 मतों से हार गए थे। 2002 में अगला विधानसभा चुनाव व बतौर आजाद उम्मीदवार लड़े, लेकिन यहां भी उन्हें 7452 मतों से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन यह उनकी आखिरी हार थी। 2007 के चुनाव में उन्होंने वीर सिंह लोपोके को 8276 मतों से हराया था, जबकि 2012 के चुनाव में एक बार फिर वीर सिंह लोपोके को करीबी मुकाबले में 1084 मतों से मात दी। 2017 का विधानसभा चुनाव वह 5727 मतों से जीते थे। जीत की हैट्रिक के बाद वरिष्ठता क्रम के लिहाज से उन्हें मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी और आखिर उनकी यह उम्मीद पूरी हो रही है।
बलबीर सिंह सिद्धू को जीत की हैट्रिक का इनाम
कैप्टन सरकार में शामिल किए गए मोहाली के विधायक बलबीर सिंह सिद्धू को भी जीत की हैट्रिक लगाने के बाद मंत्री पद मिला है। बलबीर सिंह सिद्धू ने 2007, 2012 और 2017 के चुनाव में लगातार जीत हासिल की है। 2007 के चुनाव में वह खरड़ विधानसभा हलके से चुनाव जीत थे, उन्होंने अपने विपक्षी उम्मीदवार जसजीत सिंह को 13,615 मतों के अंतर से हराया था। इसके बाद 2012 के चुनाव में बलवंत सिंह रामूवालिया को 16,756 मतों के अंतर से हराया, पिछले चुनाव के दौरान उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नरेंदर सिंह के साथ था। बलबीर सिद्धू ने नरेंदर सिंह को 27,875 मतों से मात दी। सिद्धू को 66,844 मत हासिल हुए थे जबकि नरेंदर सिंह को 38,971 मत मिले। हालांकि इससे पहले सिद्धू भी बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव हार चुके हैं। उन्हें 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बीर दविंदर सिंह ने खरड़ विधानसभा क्षेत्र में मात दी थी।
लोकसभा चुनाव में जमानत गंवाने वाले सिंगला राहुल की वजह से बने मंत्री
कैप्टन सरकार में शामिल किए गए संगरूर से विधायक विजयइंद्र सिंगला को सियासत विरासत में मिली है। उनके पिता संत राम सिंगला पटियाला से कांग्रेस के सांसद थे। सिंगला ने सियासी सफर 2002 में पंजाब यूथ कांग्रेस के जरिए शुरू किया था। 2005 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के समय उन्हें पंजाब एनर्जी डेवल्पमैंट अथारिटी यानी पेडा का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद वह 2006 से 2008 तक पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सुखदेव सिंह ढींडसा को मात दी । 2014 के लोकसभा चुनाव में वह आप के भगवंत मान से चुनाव में जमानत भी नहीं बचा पाए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दिनेश बांसल को 30,812 मतों के अंतर से हराया।
बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव हारे थे अरोड़ा, अब बनें मंत्री
कैप्टन की कैबिनेट में शामिल किए गए दोआबा के इकलौते चेहरे सुंदर शाम अरोड़ा भी 2002 के चुनाव में बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़कर तीसरे नंबर पर रहे थे लेकिन बाद में वह कांग्रेस के साथ आ गए और 2012 व 2017 के चुनाव में लगातार दो बार जीत हासिल की। 2012 के चुनाव में उन्होंने तीक्षण सूद को 6208 मतों के अंतर से हराया था जबकि 2017 के चुनाव में वह 11,233 मतों के अंतर विजयी रहे थे। सुंदर शाम अरोड़ा को कैप्टन के साथ करीबी होने का फायदा मिला है और लगातार दो जीत हासिल करने के बाद अब उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी हासिल हुई है।
पार्षद से शुरू हुआ आशु का सफरमंत्री पद तक
कैप्टन की कैबिनेट में शामिल किए गए लुधियाना वेस्ट सीट से विधायक भारत भूषण आशु की अपने हलके में खासी पकड़ है। पिछले दो चुनाव आशु 30,000 से ज्यादा मतों से जीते हैं। 2012 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार प्रो. रजिंदर भंडारी को 35,922 मतों के अंतर से हराया था जबकि 2017 के चुनाव में वह अहबाब सिंह ग्रेवाल को 36,521 मतों से हराकर विधानसभा में पहुंचे हैं। आशु को चुनाव में 66,627 मत हासिल हुए थे जबकि उनके सामने खड़े आम आदमी पार्टी के अहबाब सिंह ग्रेवाल को 30,106 मत हासिल हुए। आशु ने राजनीतिक करिअर बतौर पार्षद शुरू किया था। वह लुधियाना में लगातार तीन बार पार्षद रहे और 2012 में उन्हें विधानसभा चुनाव लडऩे का मौका दिया गया।