हरित क्रांति के गवाह राज्य पंजाब के सरकारी गोदामों से 20,000 करोड़ रुपये का अनाज चोरी होने का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले ने सरकार के साथ-साथ बैंकों की नींद भी उड़ा दी है। इससे बैंकों को भारी चपत लगने का अंदेशा है। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पंजाब सरकार के फूड बॉरोइंग प्रोग्राम के लिए कर्ज देने वाले सभी बैंकों को आदेश दे दिया है कि वह ऐसे कर्ज को बैड लोन के रूप में क्लासीफाई करें। आरबीआई ने यह आदेश तब दिया है जब उसे पता चला कि बैंकों के जिस पैसे से अनाज खरीदा गया था वह फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के गोदामों में है ही नहीं। आरबीआई के आदेश ने बैंकों की मुसीबत बढ़ा दी है। आरबीआई ने कहा है कि बैंक इस नुकसान की भरपाई करें। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने आने वाले दिनों में इस मसले पर एक अहम बैठक बुलाई है। अनुमान है कि इस अनाज की कीमत अंदाजन 20,000 करोड़ रुपये है। जहां एक ओर यह बैंकिंग सिस्टम के लिए बड़ा झटका है वहीं यह राज्य की मौजूदा सरकार के लिए भी दिक्कत की बात है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को अनाज घोटाले के बहाने सरकार के खिलाफ अच्छा मुद्दा मिल गया है। पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कहते हैं कि केंद्र सरकार के लिए राज्य सरकार की एजेंसियां गेहूं की खरीद करती हैं। इसके लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को कैश क्रेडिट लिमिट देती है। पिछले दस सालों से उस कैश क्रेडिट लिमिट और राज्य सरकार के हिसाब-किताब में एकरूपता नहीं है। लेकिन गेहंू की खरीद को लेकर पंजाब में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन रहा है।
आम आदमी पार्टी के नेशनल बिल्डिंग इंचार्ज दुर्गेश पाठक कहते हैं,'हमारा मानना है कि इस इतने बड़े घोटाले की जांच सरकार तो करने से रही। इसलिए सेवानिवृत्त जजों की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की जाए जो सारे मामले की जांच करे। इस घोटाले में बैंकों का दर्द ये है कि राज्य सरकार, केंद्र और आरबीआई को मामले की जानकारी थी। बैंकों को ही हमेशा इस तरह के घोटालों की कीमत चुकानी पड़ती है। बैंकों की मांग है कि सरकार को मामले की जांच करनी चाहिए।’
सरकार और बैंक अपनी जगह हैं लेकिन इस घोटाले की सबसे अधिक मार किसानों पर पड़ी है। गेहूं की कटाई के बाद यह वह मौसम होता है जबकि किसानों के लिए अपने अनाज के एक-एक दाने की कीमत होती है। लेकिन इस घोटाले के बाद सरकार किसानों से अनाज खरीद तो रही है लेकिन किसानों को फसल का भुगतान नहीं कर रही। सरकार ने भुगतान पर फिलहाल रोक लगा दी है। राज्य की सबसे बड़ी किसान जत्थेबंदी भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के सचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां का कहना है कि 'बेशक यह घपला हुआ होगा लेकिन किसानों के भुगतान क्यों रोक दिए गए।’ कोकरीकलां के अनुसार हाल ही में प्रधानमंत्री ने खेती-किसानी के संदर्भ में खुली मंडी व्यवस्था को लेकर जो नई नीतियां लागू की हैं पंजाब सरकार ने वे लागू नहीं की। चूंकि सरकार भुगतान नहीं कर रही है इसलिए किसान न्यूनयम समर्थन मूल्य से 50 रुपये कम पर निजी कंपनियों को गेहंू बेच रहे हैं। वह यह भी कहते हैं कि इस घोटाले की सुगबुगाहट तो कई महीनों से थी लेकिन जब किसान मंडी में अपना अनाज बेचने आया तो ही तमाशा क्यों किया गया।
इस पर अकाली दल के प्रवक्ता प्रेमसिंह चंदूमाजरा का कहना है कि 'यह घोटाला नहीं है। केंद्र सरकार ने अनाज की हैंडलिंग के मामले में पंजाब सरकार(एफसीआई)की ओर 12,000 करोड़ रुपये बकाया निकाले हैं। हम यह बात मानते हैं कि अनाज ढोने के लिए ट्रकों ने ज्यादा पैसा वसूला है लेकिन किसी भी कीमत में यह घोटाला नहीं है। जो ऐसा बोल रहे हैं उन्हें जानकारी ही नहीं है।’